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यूपी में तो योगी भाजपा को ही दिलाएंगे बढ़त

यूपी में तो योगी भाजपा को ही दिलाएंगे बढ़त

(अशोक त्रिपाठी-हिन्दुस्तान समाचार फीचर सेवा)
हमारे संविधान निर्माताओं ने एक ऐसे परिसंघीय सदन की व्यवस्था की थी जिनका निर्वाचन राज्यों और दो संघ-राज्य क्षेत्रों की सभाओं के सदस्य करते हैं। संविधान के अनुच्छेद 80 में राज्यसभा के सदस्यों की अधिकतम संख्या 250 निर्धारित की गयी है। इनमें से 12 सदस्य राष्ट्रपति द्वारा नाम निर्देशित होते हैं जबकि 238 सदस्य राज्यों के और संघ-राज्य क्षेत्रों के प्रतिनिधि होते हैं। संसद का यह उच्च सदन कहलाता है और संविधान निर्माताओं ने यही अपेक्षा की थी कि कला-संस्कृति, खेल आदि की अति विशिष्ट प्रतिभाएं राज्यसभा में बैठकर सरकार को दिशा निर्देश दंेगी। अब क्या हो रहा है, इस पर चर्चा करना व्यर्थ है लेकिन आगामी जून में राज्यसभा के 59 सदस्यों का चुनाव होना है। संयोग से विपक्ष बिखरा है वरना राज्यसभा से कोई भी कानून पारित कराना सरकार के लिए मुश्किल हो जाता।
सरकार को अपने फैसले मनवाने के लिए राज्यसभा में ही कड़ी मशक्कत करती पड़ती है। लोकसभा में तो सरकार का बहुमत होता ही है लेकिन राज्यसभा में विपक्षी दल एक हो जाते हैं। इस बार जून में राज्यसभा की 59 सीटों पर चुनाव होना है। अभी जो समीकरण बनते दिख रहे हैं, उनके अनुरूप भाजपा और उसके गठबंधन को शेष विपक्ष से कम सीटें मिल रही हैं लेकिन उत्तर प्रदेश में योगी आदित्यनाथ फिर बाजी मार ले गये हैं। बीजेपी की अगुवाई वाले राजग को राज्यसभा चुनाव में 7 से नौ सीटों का नुकसान उठाना पड़ सकता है लेकिन उत्तर प्रदेश में 11 राज्यसभा की सीटों के चुनाव में भाजपा की झोली में पांच सीटें पड़ सकती हैं। मौजूदा विधानसभा के सदस्यों के लिहाज से बसपा और कांग्रेस को राज्यसभा के लिए कोई सांसद नहीं मिल पाएगा।
कांग्रेस शासित राज्य राजस्थान की जिन 4 राज्यसभा सीटों पर चुनाव होना है, फिलहाल उन सभी सीटों पर बीजेपी का कब्जा हैं। हालांकि, इस बार के सियासी समीकरण को देखते हुए बीजेपी को तीन सीटों का नुकसान हो सकता है तो वहीं कांग्रेस का फायदा होगा। विधायकों की संख्या के आधार पर कांग्रेस की दो सीटों पर जीत तय है, जबकि बीजेपी को एक सीट ही मिल सकती है। इसके अलावा कांग्रेस अगर निर्दलीय और अन्य दलों के विधायकों के समर्थन जुटाने में सफल रहती है तो फिर तीसरी सीट अपने प्रत्याशी को जिता सकती है लेकिन सचिन-गहलोत संघर्ष कहानी बदल सकता है।
इसी प्रकार छत्तीसगढ़ की दो राज्यसभा सीटों पर चुनाव हैं। फिलहाल बीजेपी और कांग्रेस दोनों ही राजनीतिक दलों का एक-एक सीट पर कब्जा है, जिनका कार्यकाल खत्म होने जा रहा है। विधानसभा में सदस्यों की संख्या के आधार पर दोनों ही सीटों पर कांग्रेस उम्मीदवारों की जीत तय मानी जा रही है, जबकि बीजेपी को एक भी सीट नहीं मिलेगी। इस तरह से बीजेपी को छत्तीसगढ़ में नुकसान उठाना पड़ेगा। कांग्रेस में झगड़ा यहां भी है लेकिन दब गया है। मध्य प्रदेश की तीन राज्यसभा सीटों पर चुनाव है, जिसमें से दो सीटों पर बीजेपी और एक सीट पर कांग्रेस का कब्जा है। ऐसे में मौजूदा विधायकों की संख्या के आधार पर राज्यसभा चुनाव में बीजेपी और कांग्रेस नो प्रॉफिट नो लॉस वाली स्थिति में रहने जा रही है। बीजेपी दो और कांग्रेस एक सीट पर आसानी से जीत दर्ज कर सकती है।
दक्षिण भारत में कर्नाटक की चार राज्यसभा सीटों पर चुनाव हैं। विधायकों की संख्या के आधार पर बीजेपी अपने दो राज्यसभा सदस्यों को जिता लेगी, जबकि कांग्रेस को एक सीट मिलनी तय है और एक सीट के लिए अगर जेडीएस और कांग्रेस साथ आते हैं तो ही जीत मिल पाएगी। तेलंगाना में जिन 2 सीटों पर चुनाव होना हैं, उन दोनों पर फिलहाल टीआरएस का कब्जा है और संख्या बल के आधार पर दोनों ही सीटों पर उसे जीत मिलनी तय है। इसके अलावा तेलंगाना की एक राज्यसभा सीट पर भी चुनाव हैं, जो टीआरएस के खाते में जाएंगी। आंध्र प्रदेश की चार राज्यसभा सीटों पर चुनाव हो रहे हैं, उनमें से तीन सीटें बीजेपी के पास थीं और एक सीट पर डीएमके। इस बार के विधानसभा के सदस्यों की आधार पर चारों सीटें वाईएसआर कांग्रेस को मिलनी तय हैं। बीजेपी को तीनों सीटों का नुकसान होने जा रहा है। वहीं, ओडिशा की तीन राज्यसभा सीटों पर चुनाव हैं और तीनों ही सीटें बीजेडी को मिलनी तय है। ये सीटें बीजेडी के पास थीं। इसके अलावा एक सीट पर उपचुनाव है, जो बीजेडी को मिलेगी।
राज्यसभा की 59 सीटों पर चुनाव हो रहे हैं, जिसमें से 57 सीट पर 10 जून और दो सीटों पर 13 जून को मतदान होंगे। इन 59 सीटों में से बीजेपी के अगुवाई वाले एनडीए के पास 31 सीटें थीं तो कांग्रेस नेतृत्व वाले यूपीए के पास 13 सीट। हालांकि, इस बार के सियासी समीकरण के चलते एनडीए को नुकसान तो यूपीए को फायदा मिलेगा। देश के 15 राज्यों की 57 राज्यसभा सीटों पर 10 जून को मतदान है जबकि 2 अन्य सीटों पर उपचुनाव 13 जून को है। इस तरह से कुल 59 सीटों पर राज्यसभा चुनाव हो रहे हैं। इन 59 राज्यसभा सीटों में से बीजेपी के अगुवाई वाले एनडीए का 31 सीटों पर कब्जा है, जिनमें से 25 सीटें बीजेपी और बाकी छह सीटें उसके सहयोगी दल के पास है। वहीं, कांग्रेस के अगुवाई वाले यूपीए के पास 13 सीटें हैं, लेकिन मौजूदा समीकरण के लिहाज से एनडीए को नुकसान तो यूपीए को फायदा मिलता दिख रहा है।
दरअसल, राज्यसभा की 59 सीटों में से बीजेपी का 25 सीटों पर कब्जा है और उसके सहयोगी दल में जेडीयू के पास दो और ।प्।क्डज्ञ के खाते में 3 सीटें हैं। इसके अलावा एक निर्दलीय राज्यसभा सदस्य सुभाष चंद्रा को जोड़ लिया जाए तो एनडीए के पास 31 सदस्य हो रहे थे, लेकिन इस आकंड़े को एनडीए को बरकरार नहीं रख पाएगी। वहीं, यूपीए की बात करें तो कांग्रेस के 8, डीएमके के 3, शिवसेना और एनसीपी के एक-एक सांसदों को मिलाकर इसकी कुल संख्या 13 तक पहुंचती है। इसके अलावा सपा के पास 3, बीजेडी के पास 4, बसपा के पास 2 और टीआरएस के पास 3 राज्यसभा सांसद हैं जबकि वाईएसआर कांग्रेस, अकाली दल और आरजेडी इन तीनों दलों के पास 1-1 सांसद हैं। इस तरह से वर्तमान में अन्य दलों का आंकड़ा 15 तक पहुंच रहा है। राज्यसभा चुनाव में यूपीए और अन्य दलों की सीटें बढ़ रही हैं, जबकि बीजेपी और एनडीए को नुकसान होगा। विधानसभा के चुनाव के नतीजे के आंकड़े बता रहे हैं इस बार बीजेपी के अगुवाई वाले एनडीए को 7 से 9 सीटों का नुकसान उठाना पड़ सकता है, जबकि यूपीए को 2 से 4 सीटों का फायदा होता नजर आ रहा है। ऐसे में ही अन्य दलों को भी राज्यसभा सीटें बढ़ रही हैं। उत्तर प्रदेश की जिन 11 राज्यसभा सीटों पर चुनाव है, उनमें से 5 सीटें बीजेपी, तीन सीटें सपा, दो सीटें बसपा और एक सीट पर कांग्रेस का कब्जा था। मौजूदा विधानसभा के आंकड़ों के लिहाज से बसपा और कांग्रेस को राज्यसभा सीटें नहीं मिलेंगी। वहीं, सपा अपनी तीनों ही सीटें बचाए रखने में सफल रहेगी, जबकि बीजेपी को सात सीटें मिलनी तय है, जिसे उसे दो सीटों का सीधे फायदा मिलेगा। इसके अलावा एक सीट पर सपा और बीजेपी के बीच जोर आजमाइश हो सकती है और ऐसे में जो भी दल 34 विधायकों के समर्थन जुटाने में सफल रहता है तो यह सीट उसकी होगी।
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