झगड़े में उद्धव को होगा घाटा

झगड़े में उद्धव को होगा घाटा

(अशोक त्रिपाठी-हिन्दुस्तान समाचार फीचर सेवा)
महाराष्ट्र में सरकार बने लगभग ढाई साल पूरे हो गये हैं लेकिन महागबंधन की गांठ नहीं खुल पायी है। अब यहां से 6 राज्यसभा की सीटों पर चुनाव होना है। विधायकों के संख्या बल को देखा जाए तो महाविकास अघाड़ी गठबंधन को चार राज्यसभा सांसद मिल सकते हैं लेकिन गठबंधन में शामिल कांग्रेस और एनसीपी के बीच जिस तरह की खटपट चल रही है, उसका फायदा मुख्य विपक्षी दल भाजपा को मिल सकता है। अब, यह उद्धव ठाकरे पर निर्भर करेगा कि वे राज्यसभा चुनाव में भी भाजपा को पटकनी दे पाते हैं अथवा आपसी कलह में उलझ जाएंगे। महाराष्ट्र में कांग्रेस के अध्यक्ष नाना पटोले तो गठबंधन तोड़ने की स्थिति बता रहे हैं।

महाराष्ट्र की 6 राज्यसभा सीटों पर चुनाव हैं। मौजूदा समय में तीन सीटें बीजेपी के पास हैं, जबकि शिवसेना-एनसीपी-कांग्रेस के पास 1-1 सीट है। विधानसभा में विधायकों की संख्या बल के आधार पर बीजेपी को एक राज्यसभा का सीट का नुकसान हो सकता है। बीजेपी की इस बार 2 सीटों पर जीत तय मानी जा रही है, तो शिवसेना-एनसीपी-कांग्रेस ने आपसी तालमेल के साथ मिलकर चुनाव लड़ा तो उनके खाते में चार सीटें आ सकती है। इस तरह से यूपीए को महाराष्ट्र से एक सीट का फायदा मिल सकता है लेकिन प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष नाना पटोले पूरा खेल बिगाड़ सकते हैं।

इसी तरह तमिलनाडु की 6 राज्यसभा सीटों पर चुनाव हैं, जिनमें से फिलहाल डीएमके और एआईएडीएमके दोनों ही दलों का 3-3 सीटों पर कब्जा है। विधानसभा के आंकड़ों को देखते हुए इस बार एआईएडीएमके को एक सीट का नुकसान उठाना पड़ सकता है, जबकि डीएमके को एक सीट का फायदा मिलेगा। डीएमके के 4 राज्यसभा सदस्य चुनाव जीत सकते हैं तो वहीं एआईएडीएमके दो सीट ही जीत सकेगी। माना जा रहा है कि डीएमके अपने कोटे से एक सीट सहयोगी दल कांग्रेस को दे सकती है?

बिहार की 5 राज्यसभा सीटों पर चुनाव है, जिनमें से दो सीटें बीजेपी, दो सीटें जेडीयू जबकि एक सीट पर आरजेडी का कब्जा था। इस बार के सियासी समीकरण को देखते हुए आरजेडी को एक सीट का फायदा मिलेगा, जबकि जेडीयू को एक सीट का नुकसान होगा। विधायकों की संख्या के लिहाज से आरजेडी को दो और जेडीयू को एक सीट मिलेंगी। वहीं, भाजपा के लिए सहयोगी दलों के साथ की बदौलत यथास्थिति रह सकती है और वह दो सीटें आसानी से जीत सकती है। इस तरह से एनडीए को एक सीट का नुकसान बिहार में तय है। पंजाब की दो राज्यसभा सीटों पर चुनाव हैं। इनमें एक सीट पर अकाली दल और एक सीट पर कांग्रेस का कब्जा था। इस बार के समीकरण के लिहाज से दोनों ही सीटें आम आदमी पार्टी को मिलनी तय है। कांग्रेस और अकाली दल को नुकसान होगा। वहीं, झारखंड की दो राज्यसभा सीटों पर चुनाव हैं, जिन पर फिलहाल बीजेपी का कब्जा है। इस बार के आंकड़ों को देखें तो बीजेपी को एक सीट जीतने के लिए कड़ी मशक्कत करनी होगी, जबकि एक सीट जेएमएम की पक्की है और दूसरी सीट के लिए वह कांग्रेस को सहयोग देकर मुकाबले को रोचक बना सकती है।

भाजपा शासित हरियाणा की दो सीटों पर चुनाव हैं, जिनमें एक सीट बीजेपी और एक सीट बीजेपी के समर्थन से जीते सुभाष चंद्रा की है। इस बार के सियासी आंकड़ों को देखते हुए कांग्रेस और बीजेपी के खाते में एक-एक सीट जाना तय है। राज्यसभा चुनावों में असम, त्रिपुरा और नागलैंड की एक-एक सीटों पर जीत हासिल करने के बाद इतिहास में पहली बार उच्च सदन में भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के सदस्यों का आंकड़ा 100 पर पहले ही पहुंच गया। पूर्व में छह राज्यों की राज्यसभा की 13 सीटों पर हुए राज्यसभा के द्विवार्षिक चुनाव में भाजपा को पंजाब में एक सीट का नुकसान हुआ लेकिन उपरोक्त तीनों राज्यों और हिमाचल प्रदेश में उसे एक-एक सीटों का फायदा हुआ। इन राज्यों के सेवानिवृत्त राज्यसभा सदस्य विपक्षी दलों से थे। पंजाब की सभी पांच सीटों पर आम आदमी पार्टी के सदस्य निर्वाचित हुए थे। इस प्रकार राज्यसभा में भाजपा के सदस्यों की संख्या 100 हो गयी। पहले राज्यसभा में भाजपा के 97 सदस्य थे।

आंकड़े दर्शाते हैं कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में 2014 के लोकसभा चुनाव में जीत के बाद भाजपा का ग्राफ लगातार बढ़ता चला गया है। वर्ष 2014 में उच्च सदन में भाजपा के सदस्यों की संख्या 55 थी। उसके बाद कई राज्यों में चुनावी जीत दर्ज करने के बाद उसके आंकड़े बढ़ते रहे और अब वह सौ से ऊपर पहुंच गयी है। इससे पहले 1990 में कांग्रेस के 108 सदस्य राज्यसभा में थे। इसके बाद कांग्रेस के सदस्यों की संख्या लगातार घटती चली गई। एक-एक कर कई राज्यों में कांग्रेस को अपनी सरकारें गंवानी पड़ी और इसका असर राज्यसभा में उसके सदस्यों की संख्या पर पड़ा।

संसद के उच्च सदन, राज्य सभा या राज्यों की परिषद का गठन 3 अप्रैल, 1952 को हुआ था और पहला सत्र 13 मई, 1952 को आयोजित किया गया था। तब से इसने देश के कल्याण और प्रगति में कई तरह से दिया योगदान है। राज्यसभा की अपनी कुछ विशेषताएँ हैं। यह संविधान के संघीय चरित्र को दर्शाती है और राज्यों के अधिकारों की रक्षा करती है। वर्ष 1918 में आए मोंटेग्यू-चेम्सफोर्ड रिपोर्ट को राज्यसभा या दूसरे सदन की उत्पत्ति के स्रोत के रूप में देखा जाता है। इस रिपोर्ट ने एक द्विसदनीय विधायिका, निचले सदन या केंद्रीय विधान सभा और उच्च सदन या राज्य परिषद की शुरुआत की थी। राज्य सभा ने सामाजिक परिवर्तन, आर्थिक परिवर्तन, कृषि, स्वास्थ्य, शिक्षा, पर्यावरण, विज्ञान और प्रौद्योगिकी, राष्ट्रीय सुरक्षा, और राज्यों से संबंधित मामलों आदि से संबंधित कई महत्त्वपूर्ण कानून पारित किये हैं।

भारतीय संघ के दृष्टिकोण से, भारत के विधायी मानचित्र में राज्य सभा का अपना महत्व है यह राज्यों का प्रतिनिधित्व करता है जबकि लोकसभा सीधेे लोगों का प्रतिनिधित्व करती है। राज्य सभा-उच्च सदन (दूसरा सदन या बुजुर्गों का सदन) है और यह भारतीय संघ के राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों का प्रतिनिधित्व करता है। राज्यसभा को संसद का स्थायी सदन कहा जाता है क्योंकि यह कभी भी पूर्ण रूप से भंग नहीं होती है। लोकसभा-यह निचला सदन (प्रथम सदन या लोकप्रिय सदन) है और यह समग्र रूप से भारत के लोगों का प्रतिनिधित्व करता है। राज्यसभा की अधिकतम संख्या 250 है (जिनमें से 238 सदस्य राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों के प्रतिनिधि हैं (अप्रत्यक्ष रूप से चुने गए) और 12 राष्ट्रपति द्वारा मनोनीत होते हैं)। सदन में वर्तमान सदस्य संख्या 245 है। 229 सदस्य राज्यों का प्रतिनिधित्व करते हैं, 4 सदस्य केंद्र शासित प्रदेशों का प्रतिनिधित्व करते हैं और 12 को राष्ट्रपति द्वारा नामित किया जाता है। लोकसभा की अधिकतम संख्या 550 निर्धारित की गई है, जिसमें से 530 सदस्य राज्यों और 20 केंद्र शासित प्रदेशों के प्रतिनिधि होने हैं। लोकसभा की वर्तमान सदस्य संख्या 543 है, जिसमें से 530 सदस्य राज्यों का प्रतिनिधित्व करते हैं और 13 केंद्र शासित प्रदेशों का प्रतिनिधित्व करते हैं। इससे पहले राष्ट्रपति ने एंग्लो-इंडियन समुदाय के दो सदस्यों को भी नामित किया था लेकिन 95वें संशोधन अधिनियम, 2009 द्वारा यह प्रावधान केवल वर्ष 2020 तक ही मान्य था।
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