खाद को लेकर शिवानंद ने नीतीश को घेरा

खाद को लेकर शिवानंद ने नीतीश को घेरा

(अशोक त्रिपाठी-हिन्दुस्तान समाचार फीचर सेवा)
शराबबंदी के नशे में मदहोश मुख्यमंत्रीजी को किसानों की आवाज सुनाई नहीं दे रही है। बिहार की लगभग 80 फीसद आबादी कृषि पर निर्भर है। न्यूनतम मूल्य पर धान की खरीद नहीं हो रही है। किसान औने-पौने दाम पर धान बेच रहे थे। जो धान कटनी के बाद खेतों में रह गया है, बेमौसम की बारिश में भीग गया है। बारिश की वजह से सब्जी पैदा करने वाले किसान अलग सर पर हाथ रखकर बैठे हुए हैं लेकिन सरकार की ओर से अब तक किसानों के लिए सांत्वना का कोई बयान भी नहीं आया है।

किसानों के नाम पर वोट हासिल करने के लिए तरह-तरह की घोषणाएं की जाती हैं लेकिन उनके मुद्दे नहीं उठाये जाते। बिहार में राष्ट्रीय जनता (राजद) के नेता शिवानंद तिवारी ने नीतीश कुमार को घेरते हुए यूरिया की कमा का मुद्दा उठाया है। इस समय रबी की प्रमुख फसल गेहूं के लिए यूरिया की जरूरत है। बिहार में यूरिया की जबर्दस्त किल्लत बतायी जा रही है। फारविसगंज में खाद लेने के दौरान भगदड़ मचने से 6 किसान घायल हो गये थे। कैमूर में भी खाद न मिलने पर किसानों ने हंगामा किया था। किसान आरोप लगा रहे थे कि गोदामों में खाद भरी है लेकिन मैनेजर कहते खाद नहीं है। यह भी पता चला कि बिहार से खाद नेपाल में बेची जा रही है। इन्हीं सब बातों के चलते शिवानंद तिवारी ने कहा कि किसान अभूतपूर्व यूरिया संकट का सामना कर रहे हैं जबकि मुख्यमंत्री नीतीश कुमार शराब बंदी से संबंधित समाज सुधार अभियान को लेकर राज्य में घूम रहे हैं।

बिहार के कोसी क्षेत्र में जहां बाढ़ व सुखाड़ के कारण हर वर्ष हजारों एकड़ में लगी फसल बर्बाद हो जाती है। वहीं खाद-बीज के अभाव में भी खेती प्रभावित होती है। विगत तीन वर्षों से जैविक खाद उत्पादन के लिए अनुदान बंद कर दिया गया, जिससे वर्मी कम्पोस्ट उत्पादन ठप पड़ गया, वहीं रसायनिक खाद की समय पर आपूर्ति नहीं होने से खेती प्रभावित हो रही है। चालू रबी मौसम में यूरिया-डीएपी व अन्य खाद के लिए किसान दर-दर भटक रहे हैं। खाद के अभाव में गेहूं, चना और जौ की खेती प्रभावित हो रही है। जिले में खरीफ की बर्बादी के कारण किसान पूर्व से ही परेशान हैं। ऐसे में रबी की खेती प्रभावित होने से किसानों के समक्ष भुखमरी की नौबत उत्पन्न हो सकती है। हर वर्ष समय पर खाद नहीं मिल पाने के कारण किसानों के बीच हाहाकार की नौबत उत्पन्न हो जाती है। इस वर्ष भी अक्टूबर और नवंबर की मांग से काफी कम खाद मिली, जिससे रबी की खेती करने वाले किसान को खाद नहीं मिल पायी। इस दोनो माह में यूरिया की आपूर्ति योजना 9657 एमटी है, जिसके विरूद्ध 4057 एमटी यूरिया प्राप्त हुआ। 5046 एमटी डीएपी की जगह 2048। 250 एमटी प्राप्त हुआ, इसी तरह 2350 एमटी एनपीके की जगह 1687।700 एमटी प्राप्त हुआ, जबकि 2714 एमटी एमओपी की जगह 180 एमटी प्राप्त हुआ। अर्थात जिले को इस दो माह में लगभग 80 हजार एमटी कम खाद प्राप्त हुई। खाद की कमी के कारण किसान दर-दर भटक रहे हैं। वित्तीय वर्ष 2018-19 के बाद वर्मी पिट, बायोगैस उत्पादन आदि के लिए अनुदान मिलना बंद हो गया। वर्ष 2018 में 2800 कृषकों ने वर्मी पिट बनाया, परंतु मात्र 59 कृषकों को अनुदान प्राप्त हो सका। इससे पूर्व के वर्षों में लगभग दो करोड़ का आवंटन प्राप्त होता था, वह 2018 में घटकर 15 लाख पर पहुंच गया। वर्ष 2019 के बाद पर भी पूरी तरह बंद कर दिया गया। फलस्वरूप जिले के किसानों ने केचुआ आधारित वर्मी खाद बनाना बंदकर दिया। अब जिले में जैविक खाद भी किसानों को नहीं मिल पा रही है।

भारत का यूरिया और एनपीके नेपाल में बेचा जा रहा है, जबकि यहां के किसान खाद नहीं मिलने से परेशान होकर सड़क जाम कर रहे हैं। पुलिस की लाठी खा रहे हैं। ऐसा इसलिए हो रहा है, क्योंकि यहां के खाद की नेपाल में तस्करी हो रही है। भारत में 266 रुपए प्रति बोरी मिलने वाला यूरिया नेपाल के तस्करों को 500-600 रुपए और 1,230 रुपए प्रति बोरी मिलने वाला एनपीके नेपाल में 2,500 रुपए तक बिक रहा है। मधुबनी से सटे नेपाल के सीमा क्षेत्र में यूरिया की तस्करी करने वाले गिरोह का सरगना रामसिया नामक व्यक्ति बताया जाता है। उसके पास 200 से 300 पैडलर हैं, जो मुख्य मार्ग को छोड़ खेत, नदी और गांव के कच्चे रास्तों से साइकिल पर यूरिया लादकर इस पार से उस पार करते हैं।

रबी फसलों के लिए किसानों को यूरिया संकट का सामना करना पड़ रहा हैं। दूसरी ओर, मुख्यमंत्री नीतीश कुमार इन दिनों पूरे राज्य में शराबबंदी से संबंधित अपने समाजसुधार अभियान को लेकर दौरा कर रहे हैं। राष्ट्रीय जनता दल के वरिष्ठ नेता शिवानंद तिवारी ने इसे लेकर सीएम को सलाह देते हुए कहा है कि शराब से फुरसत निकालिए मुख्यमंत्री जी। क्योंकि बिहार में यूरिया के लिए किसानों में हाहाकार मचा हुआ है। खाद के लिए छटपटाते किसानों पर हवाई फायरिंग हो रही है। उन पर टियर गैस के गोले दागे जा रहे हैं। बेमौसम बारिश ने वैसे ही किसानों की जान सांसत में डाल दी है। बारिश की वजह से सब्जी पैदा करने वाले किसान अलग सर पर हाथ रखकर बैठे हुए हैं लेकिन सरकार की ओर से अब तक किसानों के लिए सांत्वना का कोई बयान भी नहीं आया है।

तिवारी के अनुसार, यूरिया का संकट अचानक नहीं पैदा हुआ है। अखबार वाले लगातार यूरिया की कमी और इसको लेकर किसानों में बेचैनी की खबर से अवगत करा रहे हैं। कृषि मंत्री जी ने आश्वासन भी दिया था कि यूरिया की कमी तत्काल दूर होगी लेकिन नतीजा वही ढाक के तीन पात। चर्चा है कि दिल्ली सरकार, बिहार के हिस्से का यूरिया चुनावी फायदे के लिए उत्तर प्रदेश भिजवा रही है। तिवारी ने कहा, मुख्यमंत्री जी से अनुरोध है कि अभी शराब को मुल्तवी रखें और किसानों को संकट से निकालने में अपना समय और ऊर्जा लगाएं।

शराबबंदी के नशे में मदहोश मुख्यमंत्रीजी को किसानों की आवाज सुनाई नहीं दे रही है। बिहार की लगभग 80 फीसद आबादी कृषि पर निर्भर है। न्यूनतम मूल्य पर धान की खरीद नहीं हो रही है। किसान औनेपौने दाम पर धान बेच रहे थे। जो धान कटनी के बाद खेतों में रह गया है, बेमौसम की बारिश में भीग गया है। बारिश की वजह से सब्जी पैदा करने वाले किसान अलग सर पर हाथ रखकर बैठे हुए हैं लेकिन सरकार की ओर से अब तक किसानों के लिए सांत्वना का कोई बयान भी नहीं आया है। (हिफी)
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