व्यय सुधार समिति बने: विवेक देबराय

व्यय सुधार समिति बने: विवेक देबराय

प्रधानमंत्री की आर्थिक सलाहकार परिषद के चेयरमैन विवेक देवरॉय ने वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) परिषद की तर्ज पर केंद्र, राज्यों और स्थानीय निकायों में व्यय सुधार के लिए समिति गठित करने पर आज जोर दिया। थोक मुद्रास्फीति के 12 साल के उच्चतम स्तर पर पहुंचने के बारे में उन्होंने कहा कि आर्थिक वृद्धि में सुधार कीमतों में वृद्घि से बड़ा मुद्दा है। बतौर मुख्य वक्ता बिजनेस स्टैंडर्ड अवॉर्ड्स उत्कृष्टता का जश्न कार्यक्रम को संबोधित करते हुए देवरॉय ने कहा, मेरे विचार से राज्यों के साथ बातचीत कर व्यय पर चर्चा के लिए जीएसटी परिषद जैसा एक मंच बनाने का यह सही वक्त है।

उन्होंने कहा कि आम बजट आने वाला है और इसकी मांग हो रही है कि सरकार को बुनियादी ढांचे पर सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) का 10 फीसदी, शिक्षा पर 6 फीसदी, स्वास्थ्य पर 4 फीसदी और रक्षा पर 3 फीसदी खर्च करना चाहिए, जो कुल मिलाकर जीडीपी का 23 फीसदी होता है। लेकिन केंद्र और राज्यों के कर-जीडीपी अनुपात की तुलना करें तो यह आज 15 फीसदी से भी कम है। उन्होंने कहा, श्कर राजस्व के तौर पर जीडीपी का 15 फीसदी तक मिलता है जबकि खर्च 23 फीसदी करने की मांग की जाती है। देवरॉय ने कहा कि अर्थशास्त्री कह सकते हैं कि सरकार को ज्यादा पूंजीगत खर्च करना चाहिए और इसके लिए प्रति-चक्रीय राजकोषीय नीति होनी चाहिए लेकिन महत्त्वपूर्ण बात यह है कि इन नीतियों में उसका स्तर कितना होना चाहिए। उन्होंने सवाल किया कि राज्यों में पूंजीगत व्यय में दो साल लग सकते हैं, ऐसे में प्रति-चक्रीय राजकोषीय नीति कब तक पूरी होगी। उन्होंने कहा कि यह स्पष्ट होना चाहिए कि केंद्र सरकार के लिए क्या महत्त्वपूर्ण है और राज्य सरकार के लिए क्या अहम है।केंद्र सरकार को उन क्षेत्रों पर खर्च करना चाहिए जो संघ की सूची में आते हैं और राज्यों की सूची वाले क्षेत्रों में से खर्च नहीं करना चाहिए। उन्होंने कहा कि मान लें अगर कल को कोई और महामारी आ जाती है तो लोगों की प्रतिक्रिया नहीं होनी चाहिए कि महामारी का निर्धारण महामारी रोग अधिनियम, 1897 द्वारा किया गया है। अब केंद्र के पास इस अधिनियम के तहत कोई अधिकार नहीं है सिवाय सीमा के। सभी अधिकार राज्यों के पास हैं। जरूरत पडने पर लॉकडाउन का अधिकार भी राज्य स्तर पर नहीं बल्कि स्थानीय प्रशासन के पास है।
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