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दिव्यांगों को सामाजिक सम्मान आवश्यक

दिव्यांगों को सामाजिक सम्मान आवश्यक

जहानाबाद । सच्चिदानंद शिक्षा एवं समाज कल्याण संस्थान की ओर से देशरत्न भारत के प्रथम राष्ट्रपति डॉ राजेन्द्र प्रसाद की जयंती एवं विश्व दिव्यांग दिवस पर दिव्यांग संगोष्ठि का आयोजन किया गया । राजेन्द्र बाबू के चित्र पर माल्यापर्ण करने के बाद दिव्यांग संगोष्टी में जिला हिंदी साहित्य सम्मेलन के उपाध्यक्ष साहित्यकार व इतिहासकार सत्येन्द्र कुमार पाठक ने कहा कि दिव्यांगता को समाज में कलंक के तौर पर देखा जाता है । विश्व दिव्यांग दिवस के अवसर पर लोगों में दिव्यांगता मामले की समझ बढ़ाने, दिव्यांगजनों के सामाजिक सम्मान की स्थापना, अधिकारों एवं कल्याण पर ध्यान केंद्रित कराने के उद्देश्य है । अंतरराष्ट्रीय दिव्यांगजन दिवस प्रतिवर्ष 03 दिसंबर को मनाया जाता है । संयुक्त राष्ट्र प्रत्येक वर्ष दिव्यांग लोगों के प्रति सामाजिक जागरूकता के उद्देश्य से 03 दिंसबर को 'विश्व दिव्यांग दिवस' मनाता है । सरकार द्वारा दिव्यांगजनों से भेदभाव किए जाने पर दो साल तक की कैद और पांच लाख रुपये तक के जुर्माने का प्रावधान और भारतीय कानून में आरक्षण की व्यवस्था है । संयुक्त राष्ट्र द्वारा विश्व दिव्यांग दिवस का आयोजन 1992 से किया जा रहा है । दिव्यांग दिवस का उद्देश्य दिव्यांग व्यक्तियों की दिक्कतों को समझना, उनके अधिकारों हेतु कार्य करना तथा सशक्त बनाना है । 2011 के जनगणना के अनुसार भारत में 26814994 दिव्यांगों में 14988593 पुरुष एवं 11826401 महिला विकलांगों की पहचान की गई है । संयुक्त राष्ट्र ने विकलांगों की दुर्दशा को ध्यान में रखते हुए, साल 2006 में 'विकलांग लोगों के अधिकारों पर कन्वेंशन' को अपनाने के लिए 160 देशों ने हस्ताक्षर किए है । सामाजिक न्याय और अधिकारिता मंत्रालय के तहत विभाग का 2012 में प्रारम्भ किया गया है । वर्ष 1981 को संयुक्त राष्ट्र द्वारा विकलांग व्यक्तियों का अंतर्राष्ट्रीय वर्ष घोषित किया गया था । दिव्यांग व्यक्तियों के अंतर्राष्ट्रीय वर्ष का एक प्रमुख परिणाम दिसंबर 1982 में संयुक्त राष्ट्र महासभा द्वारा अपना कर विकलांग व्यक्तियों के संबंध में विश्व कार्यक्रम की कार्रवाई का निर्माण था । विकलांग व्यक्तियों का अंतर्राष्ट्रीय दशक 1983 से 1993 तक चला। अमेरिकी शिक्षा विभाग के तत्कालीन सहायक सचिव डॉ रॉबर्ट आर डेविला द्वारा महासभा में एक भाषण द्वारा बंद किया गया था, जिन्होंने घोषणा की थी कि "वर्ष समाप्त होने से पहले, हमें उम्मीद है कि विकलांग व्यक्तियों की संख्या दोगुनी हो जाएगी।" 1992 से प्रत्येक वर्ष 3 दिसंबर को संयुक्त राष्ट्र द्वारा विकलांग व्यक्तियों के अंतर्राष्ट्रीय दिवस के रूप में पहचाना जाता है । ब्रिटिश न्यू वेव गायक-गीतकार इयान ड्यूरी दिव्यांग ने 1981 में " स्पास्टिकस ऑटिस्टिकस " शीर्षक से एक गीत जारी करने पर "संरक्षण" और "दुर्घटनाग्रस्त असंवेदनशील" के रूप में देखा है । दिव्यांग संगोष्टी में संस्थान के कार्य क्रम पदाधिकारी पप्पू कुमार , अप्पू आर्ट्स के निदेशक अजय कुमार विश्वकर्मा , उर्वशी , प्रियंका , केशरी नंदन आदि ने अपने अपने विचार व्यक्त किये ।
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