प्लक्ष द्वीप और चंद्रमा
सत्येन्द्र कुमार पाठक पुरणों एवं संहिताओं के अनुसार पृथ्वी को जम्बू द्वीप , प्लक्ष द्वीप शाल्मलद्वीप, कुशद्वीप, क्रौंच द्वीप , शाकद्वीप और पुष्कर द्वीप में विभक्त किया गया है । सातों द्वीप के चारों आर् खारे पानी, इक्षुरस, मदिरा, घृत, दधि, दुग्ध और मीठे जल के सात समुद्रों से घिरे हैं। सभी द्वीप एक के बाद एक दूसरे को घेरे हुए है ।इक्षुरस सागर से घीरा हुआ प्लक्ष द्वीप के स्वामी मेघातिथि के पुत्रों में शान्तहय, शिशिर, सुखोदय, आनंद, शिव, क्षेमक एवं , ध्रुव द्वारा शांतहयवर्ष , पुरणों एवं संहिताओं के अनुसार पृथ्वी को जम्बू द्वीप , प्लक्ष द्वीप शाल्मलद्वीप, कुशद्वीप, क्रौंच द्वीप , शाकद्वीप और पुष्कर द्वीप में विभक्त किया गया है । सातों द्वीप के चारों आर् खारे पानी, इक्षुरस, मदिरा, घृत, दधि, दुग्ध और मीठे जल के सात समुद्रों से घिरे हैं। सभी द्वीप एक के बाद एक दूसरे को घेरे हुए है ।इक्षुरस सागर से घीरा हुआ प्लक्ष द्वीप के स्वामी मेघातिथि के पुत्रों में शान्तहय, शिशिर, सुखोदय, आनंद, शिव, क्षेमक एवं , ध्रुव द्वारा शांतहयवर्ष , शिशिरवर्ष ,सुखोदेववर्ष ,आनंद वर्ष ,शिववर्ष ,क्षेमकवर्ष ,और धुर्ववर्ष की स्थापना की थी । प्लक्ष द्वीप का मर्यादापर्वत में गोमेद, चंद्र, नारद, दुन्दुभि, सोमक, सुमना और वैभ्राज और समुद्रगामिनी नदियों में अनुतप्ता, शिखि, विपाशा, त्रिदिवा, अक्लमा, अमृता और सुकृता के अलावा सहस्रों छोटे छोटे पर्वत और नदियां हैं। प्लक्षद्वीप के वर्णों में आर्यक, कुरुर, विदिश्य और भावी क्रमशः ब्राह्मण, क्षत्रिय, वैश्य और शूद्र हैं । शिशिरवर्ष ,सुखोदेववर्ष ,आनंदवर्ष ,शिववर्ष ,क्षेमकवर्ष ,और धुर्ववर्ष की स्थापना की थी । प्लक्ष द्वीप का मर्यादापर्वत में गोमेद, चंद्र, नारद, दुन्दुभि, सोमक, सुमना और वैभ्राज और समुद्रगामिनी नदियों में अनुतप्ता, शिखि, विपाशा, त्रिदिवा, अक्लमा, अमृता और सुकृता के अलावा सहस्रों छोटे छोटे पर्वत और नदियां हैं। प्लक्षद्वीप के वर्णों में आर्यक, कुरुर, विदिश्य और भावी क्रमशः ब्राह्मण, क्षत्रिय, वैश्य और शूद्र हैं। प्लक्ष द्वीप के निवासियों द्वारा चंद्रमा की पूजा एवं उपासना की जाती है । प्लक्ष द्वीप का प्लक्ष , पाकड़ , पलास वृक्ष प्रसिद्ध है । विष्णु पुराण के अनुसार प्लक्ष द्वीप का विस्तार २००००० (दो लाख) योजन है।इस द्वीप में अतिविशाल प्लक्ष (पाकड़ या पीखला) के वृक्ष के कारण ही इस द्वीप का नाम प्लक्ष द्वीप ११००० योजन है । द्वीप में युग व्यवस्था नहीं है और यहाँ सदैव त्रेतायुग ही रहता है। इस द्वीप के मनुष्य सदैव निरोगी रहते हैं और उनकी आयु ५००० वर्ष बताई गयी है। यहाँ मनुष्यों सहित देवता और गन्धर्व भी वास करते हैं। प्लक्ष द्वीप में सोम को पूजा जाता है। ब्रह्मा की भी उपासना होती है। इस द्वीप में जो सात पर्वत के वैभ्राज में ब्रह्मदेव का निवास कहा गया है। स्वामी मेघतिथि हैं जिन्होंने इस द्वीप को सात खंडों में बाँट कर अपने सातों पुत्रों में बाँट दिया। मेघतिथि के सात पुत्रों के नाम हैं - शान्तहय, शिशिर, सुखोदय, आनंद, शिव, क्षेमक एवं ध्रुव इन सभी वर्षों के नाम पड़े हैं। विष्णु पुराण के अनुसार:शांतभव ,शिशिर ,सुखोदय ,आनंद ,शिव ,क्षेमक ,ध्रुव एवं ,भागवत के अनुसार: शिव , वयस , सुभद्र , शांत ,क्षेम ,ध्रुव , अमृत वर्ष ( देश ) है । विष्णु पुराण के अनुसार: पर्वतों में गोमेद ,चंद्र ,नारद ,दुदुंभि ,सोमक ,सुमना ,वैभ्राज एवं ,भागवत के अनुसार :मणिकूट ,वज्रकूट ,इंद्रसोम ,ज्योतिष्मानू ,सुवर्ण ,हिरण्यष्ठीन ,मैघमाल सप्त पर्वत है ।विष्णु पुराण के अनुसार: प्रमुख नदियों में अनुतप्ता ,शिखी ,विपाशा ,त्रिदिवा ,अक्लमा ,अमृता ,सुक्रता एवं भागवत के अनुसार: नदियों में अरुण ,नृमला ,आंगिरसी ,सावित्री ,सुप्रभात ,ऋतंभरा ,सत्यंभरा और वर्णों में आर्यक: ब्राह्मण , कुरर: क्षत्रिय , विदिश्य: वैश्य , भावी: शूद्र उल्लेख है ।
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