यह विकट समय आया है, देख !
पाखंड दंभ का लेश न हो जिसका बहुरूपिया भेष न हो।
निष्ठा अखंड मानवता में रखे न जो उसका देश न हो।
जिसे उचित-अनुचित विचार न सूझता,
जो मानवता का मूल्य न बूझता।
भयभीत सभी को है करता
खुद को मानव का शुभचिंतक कहता।।
निर्माण नहीं प्रतिक्षण विनाश में
दिखलाता जो अपनी क्षमता।
उस पर विश्वास करना न सही,
यह है आत्मघाती ममता।।
घर- घर कटुता जो बांट रहा और खोज रहा अपना विकास।
मैं दावे से यह सच कहता निश्चित होगा उसका विनाश।।
पर सजग सचेत तू हो "विवेक" मत रहो विभक्त हो जाओ एक।
अब भेद-भाव का वक्त नहीं,
यह समय विकट आया है, देख।।
डॉक्टर विवेकानंद मिश्र डॉक्टर विवेकानंद पथ, गोल बगीचा गया बिहार दिनांक 13 नवंबर 2021
दिव्य रश्मि केवल समाचार पोर्टल ही नहीं समाज का दर्पण है |www.divyarashmi.com
0 टिप्पणियाँ
दिव्य रश्मि की खबरों को प्राप्त करने के लिए हमारे खबरों को लाइक ओर पोर्टल को सब्सक्राइब करना ना भूले| दिव्य रश्मि समाचार यूट्यूब पर हमारे चैनल Divya Rashmi News को लाईक करें |
खबरों के लिए एवं जुड़ने के लिए सम्पर्क करें contact@divyarashmi.com