तुम सदा रहो मस्त,खुशहाल
कर रहा हूँ ईश्वर से यह विनती,
सदा रहो मस्त,खुशहाल ,
नहीं कभी हो दुख,भय कभी,
सदा भरी रहे तेरी टकसाल।
मिले तुम्हें गुणवान धर्म पत्नी ,
सदा रखे वह तेरी ख्याल,
बनी रहे माता-पिता की कृपा,
नहीं हो कभी शिकवा,मलाल।
रहो जीवनभर मंगल,कुशल,
नहीं हो कभी जीवन में बुरा हाल,
पढ़ो लिखो सदा आगे बढ़ो,
जीओ सुखद,स्वस्थ सौ साल।
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अरविन्द अकेला
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