हरितालिका तीज व्रत
प्रेम सागर पाण्डेय
यह व्रत भाद्रपद मास की शुक्ल पक्ष की हस्त नक्षत्र युक्त तृतीया तिथि को मनाया जाता है।इस वार 9 सितंबर 2021 गुरुवार को यह व्रत मनाया जायेगा । इस दिन सुहागीन महिलाएं भगवान शिव व माता पार्वती एवं गणेश जी की मिट्टी की अस्थाई प्रतिमा बना कर अपने सुहाग को अखण्ड बनाए रखने और अविवाहित युवतियां मन मुताबिक वर पाने के लिए यह व्रत रखती हैं। साथ ही सुखी वैवाहिक जीवन तथा संतान की प्राप्ति के लिए प्रार्थना के साथ करती हैं ।
भारतवर्ष में एवं विशेष उत्तर प्रदेश के पूर्वांचल और बिहार में मनाया जाने वाला यह त्योहार करवाचौथ से भी कठिन माना जाता है । व्रती इस व्रत में पूरे दिन रात निर्जला रह कर व्रत करती हैं और अगले दिन पूजन के पश्चात ही व्रत तोड़ती हैं। इस व्रत से जुड़ी एक मान्यता यह है कि इस व्रत को करने वाली स्त्रियां पार्वती जी के समान ही सुखपूर्वक पतिरमण करके शिवलोक को जाती हैं।
मान्यता है कि सर्वप्रथम इस व्रत को माता पार्वती ने भगवान शिव शंकर के लिए रखा था।इस दिन विशेष रूप से गौरी−शंकर का ही पूजन किया जाता है। अगर माताओं -बहनों को अपने पति से अनबन हो तो वह दोनों पति पत्नी मिलकर इस पूजन को करें और कथा को सुनें, तो निश्चित रूप से भगवान शिव की कृपा से दांपत्य जीवन सुखी हो जायेगा। शास्त्र के अनुसार समस्त स्त्री जाति की भलाई के लिए यह सर्वोत्तम व्रत बताया गया है, जो स्त्री अपने सौभाग्य की रक्षा यत्नपूर्वक करना चाहती है वह इस व्रत को निश्चित करें
एक सुंदर छोटी चौकी पर चारों तरफ से केले के खंभे से सुशोभित सुंदर मंडप बनावें और उसमें रेशमी चंदवा लगावें एक थाली में भगवान के स्नान के लिए दूध, दही, घी, मधु, शक्कर, गंगाजल, रोली, चंदन, सिंदूर, भस्म, जनेऊ,अछत, रक्षा सूत्र धूप दीप प्रसाद भगवान का वस्त्र, फूल,बेलपत्र आदि इकट्ठा कर लें और उस रोज दिनभर उपवास रखकर रात्रि भर जागरण पूर्व भगवान शिव और माता पार्वती की पूजा उपासना करें। साथ में मौसमी फल विशेष रूप से रखें और शिव माता पार्वती से यह प्रार्थना करें कि हे शिवे शिवरुपिणी,हे मंगले,सब अर्थों को देने वाली देवी, शिव रुपे आपको नमस्कार है। हे शिवरूपे आपको सदा के लिए नमस्कार है।हे ब्राह्रारुपणी आपको सदा के लिए नमस्कार है। हे जगत धात्री आपको नमस्कार है। हे सिंह वाहिनी संसार के भय से भयभीत मुझ दीन की रक्षा करें।
अपने मन की कामना पूर्ति के लिए भगवान शिव माता पार्वती की पूजा कर ब्राह्मण से कथा श्रवण करें।इस तरह पति पत्नी एक चित्त होकर दोनों एक साथ कथा सुनें, फिर वस्त्र आदि जो कुछ भी संकल्प किए हैं, वह सब संकल्प कर ब्राह्मण को दान दे कर आशीर्वाद ग्रहण करें।
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