कुछो करब, करब विरोध
ना मानब केकरो अनुरोध।
देश सुरक्षा जन कल्याण
जनधन कर या जय किसान,
केतनो देल मान दान पर
सबसे बेस हे हम्मर ज्ञान।
राज सिंहासन पावे खातिर
जारी रहत हमर प्रतिशोध।
वंशवाद के चाल चलन हे
हम्मर अनुभव खूब गहन हे,
सोना के चम्मच से भोजन
केतना बढिया रहन सहन हे।
दुश्मन से ही हाथ मिलवले
देखिह अब जनता के क्रोध।
जंतर मंतर घोंघा साड़ी
मत समझ हमरा तू अनाड़ी,
लखटकिया ई कार न देख
चला रहल ही ट्रेक्टर गाड़ी।
मिटल गरीब,ना मिटल गरीबी
करा रहल ही रोजे बोध।
आ गेलइ हे अपन चुनाव
चाभ रहल ही रोज पोलाव,
तरह तरह के जतन करइत ही
बना रहल ही जोड़ घटाव।
जात पात औ सम्प्रदाय पर
कयले ही हम बड़का शोध।
रजनीकांत।
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