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बेटी----

बेटी----

मैंने देखा बेटी जब सयानी होती है,
पिता की पेशानी पानी-पानी होती है।

नींद उड़ जाती है माँ की आँखों से,
भाई की आँखे उसका साया बनी होती हैं।

पर बेटी ने आज खुद को बदला है,
बेटे सा साहस  उसने पाला है।

माँ-बाप का सहारा बेटी बनी है,
आज बेटी ने घर बाहर संभाला है।

पढ़ लिख कर बेटी आगे बढ़ी है,
सत्ता के शीर्ष तक बेटी चढ़ी है।

इस जमीं की बात क्या करें हम,
आज बेटी चाँद तारों से आगे बढ़ी है।

चाहें बेटी नित नए मुकाम पाए,
ज्ञान से विज्ञान ,परचम फहराए,

धर्म के शीर्ष पर छा  जाये बेटी,
पिता की शान बेटी बन जाए,

सिखाएं बेटी को खुद पर भरोसा रखे,
संस्कारों की सीख  जीवन में रखे।

अपने साहस व हुनर से जाए शिखर तक,
दुनिया को बेटी अपने कदमों में रखे।

डॉ अ कीर्तिवर्धन
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