
नव प्रभात शुभ प्रभात गीत नया गा रहा
नव प्रभात शुभ प्रभात गीत नया गा रहा।
गाल किये लाल सूर्य बाँसुरी बजा रहा।
नव वसन पहन विहान नव किरण सृजित किये ,
भोर भये चहुँ दिशा में स्नेह रस लुटा रहा।
जाग गया सुप्त जगत जागरण की टेर सुन,
ताप खींच कोहरे की चादरें हटा रहा।
डाल डाल डोलते पखेरुओं के झुंड निरख,
पात पात बाग शीत ओस में नहा रहा।
बेल वृक्ष आम वृक्ष केर-बेर सब मुदित,
ताड़ वृक्ष नीम अधर देख कर लजा रहा।
मृदु मधुर समीर में घुली तरुण नवीनता,
प्रीति गीत गाय भ्रमर पुष्प को लुभा रहा।
थके पाँव निजेर गाँव विदा हुआ विगत वर्ष,
स्वागतम् के घोष मध्य नया वर्ष आ रहा।~~~~~~~~
(रवि प्रताप सिंह,कोलकाता,8013546942)
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