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गतवर्ष कहते थे

गतवर्ष कहते थे 

गतवर्ष कहते थे सब, फासले में मिलो,
नजदीकियां फिरसे आज  पुरानी मिली।

नववर्ष का इस तरह आगाज हो गया,
पाजीटिव और नेगेटिव की कहानी मिली।

हाथ धोकर आये हो तो दिल से गले मिलो,
गुलशन में बिछुड़ी फूलों की रानी मिली।

मां ने कहा बरस 21 है और तुम भी 21 के,
अब तो कह दो के सफर में कोई दीवानी मिली।

कोरोना का डर अब तन मन से निकल गया,
काढ़ा पीकर हरघर उर्जा भरी जवानी मिली।

कल ही गांव, कस्बे  से अपने वापिस हुआ,
दादा, दादी की गलियों में खोई निशानी मिली।

स्कूल कालेज के खुलने के भ्रम भी टूटेंगे,
परीक्षाओं की तिथि शुरू होना आनी मिली।

शादी आदि पर इश्क़ बाजों की पैनी है नजर,
चांद भी आया नजर साथ  चांदनी भी मिली।

2020 तन के लिये काफी कुछ सिखा गया,
दादाजी के नुस्खे से गिलोय, अदरक, वृंदा रानी मिली।

समुंदर पार से आई कोरोना वापिस जा रही,
वारिध को हवा के रुख की सोंधी रवानी मिली।

जो खो गया लाजिमी उसे भूलना ही वाजिब, राजेश,
आज सुबह सुहानी, दोपहर, शाम, सुहानी मिली।

गतवर्ष कहते थे सब फासले में मिलो,
नजदीकियां फिरसे आज़ पुरानी मिली।

राजेश लखेरा, जबलपुर, म.प्र.।
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