योग से हम शारीरिक, मानसिक तथा आध्यात्मिक उन्नति प्राप्त कर सकते हैं। यह हमें संपूर्ण स्वास्थ्य को उपलब्ध कराने में मददगार है। तनाव एवं अवसाद को दूर करने में योग की महती भूमिका है। उक्त बातें लेखिका एवं योग-विशेषज्ञ हेमवती नंदन बहुगुणा गढ़वाल केंद्रीय विश्वविद्यालय उत्तराखंड में कार्यरत डॉ. कविता भट्ट शैलपुत्री ने कही।
वे शुक्रवार को बीएनएमयू संवाद व्याख्यानमाला के तहत अवसाद से मुक्ति में योग दर्शन की भूमिका विषय पर व्याख्यान दे रही थीं। उन्होंने कहा कि कितना भी गहरा अवसाद हो, योग के षट्कर्म, आसन, प्राणायाम, प्रत्याहार, ध्यान और योगनिद्रा जैसे अभ्यासों के द्वारा निश्चित रूप से उससे मुक्ति प्राप्त होती है। उन्होंने बताया कि अवसाद या डिप्रेशन का तात्पर्य है मनोभावों से संबंधित दुख। इसे रोग या सिंड्रोम की संज्ञा दी जाती है। डॉ. भट्ट ने कहा कि अवसाद दुनिया भर में होने वाली सबसे सामान्य बीमारी होती है। एक समय में विश्व में लगभग 350 मिलियन लोग अवसाद से प्रभावित होते हैं।
अवसाद जैसी ही एक और समस्या हमारे जीवन में होती है। हमारे मूड का उतार-चढ़ाव जिन्हें मूड स्विंग्स कहा जाता है, परंतु यह अवसाद से अलग होता है। सभी लोग अपने सामान्य जीवन में मूड स्विंग्स का अनुभव करते हैं। यह कुछ लोगों में कम और कुछ में थोड़ा ज्यादा देखा जाता है।
तनाव, रोग, बेरोजगारी और असफलता भी लोगों में अवसाद का कारण
उन्होंने कहा कि कुपोषण, आनुवंसिकता, हार्मोनल असंतुलन, मौसम, तनाव, रोग, नशा, अप्रिय स्थितियों में लंबे समय तक रहना आदि के कारण भी अवसाद होता है। करीब 90 प्रतिशत रोगियों में नींद की समस्या के कारण भी अवसाद होता है। उन्होंने बताया कि अवसाद उत्पन्न होने के कई कारण हैं। इसमें प्रमुख है व्यक्तिगत और मनोसामाजिक विद्रूपताओं के कारण मन पर होने वाला बुरा प्रभाव। बेरोजगारी, असफलता, प्रेम संबंधों में निराशा, घरेलू हिंसा, असहयोग, असंतोष तथा भावनाओं को न समझना इत्यादि भी अवसाद उत्पन्न करते हैं। उन्होंने बताया कि अवसाद का संबंध मस्तिष्क के उन्हीं क्षेत्रों द्वारा होता है, जहां से निद्रा चक्र और जागरण की अवस्था नियंत्रित होती है। अवसाद के कारण व्यक्ति में वजन बढ़ना, थायराइड से संबंधित समस्याएं हो जाती हैं। अवसाद से ग्रस्त धीरे-धीरे समाज से कट जाते हैं। उनके दिमाग में आत्महत्या जैसे विचार आने लगते हैं। भूख अधिक लगना या बिल्कुल न लगना तथा विभिन्न तरह के अस्वस्थ खाद्य पदार्थों के प्रति रुचि उत्पन्न होना भी अवसाद से हो सकता है। उन्होंने बताया कि अवसाद से जुड़ी सबसे गंभीर बीमारी साइकोटिक डिप्रेशन होती है। इसमें लोगों को खुद ही ऐसी आवाजें सुनाई देती है कि वह किसी काम के नहीं है या असफल हैं। रोगी को ऐसा लगता है कि वह खुद अपने विचारों को सुन सकते हैं। वह हमेशा अपने बारे में नकारात्मक विचार सुनते रहता है और वह व्यक्ति वैसे ही कार्य करने लगता है, वह बहुत जल्दी व्याकुल हो जाता है और आसान चीजें करने में भी बहुत वक्त लगाता है। उसे लगातार ऐसी चीजें सुनाई और दिखाई देती हंै।
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source https://www.bhaskar.com/local/bihar/muzaffarpur/madhepura/news/yoga-plays-an-important-role-in-removing-stress-kavita-127522383.html
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