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अच्छे दिन आ पाए?

अच्छे दिन आ पाए?

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नेताओं का क्या है,
'जनता जीए या मर जाए।'
वे तो चाहते धर्म-जाति
के नाम पे वह लड़ जाए।

रक्खेंगे नेता कबतक
जाने हमको भरमाए!
इधर सोच रही जनता,
'क्या अच्छे दिन आ पाए?'
     -मिथिलेश कुमार मिश्र 'दर्द'
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