Advertisment1

यह एक धर्मिक और राष्ट्रवादी पत्रिका है जो पाठको के आपसी सहयोग के द्वारा प्रकाशित किया जाता है अपना सहयोग हमारे इस खाते में जमा करने का कष्ट करें | आप का छोटा सहयोग भी हमारे लिए लाखों के बराबर होगा |

सचमुच कुछ अच्छा करें

सचमुच कुछ अच्छा करें


व्हाट्सएप पर हमारे गाँव के हमारे एक बड़े भाई श्री राम दया ओझा जी ने एक संवाद अग्रसारित किया है.संवाद में गाँव के लोगों की तकलीफों तथा सरकारी-तंत्र की गड़बड़ियों का वर्णन किया गया है और इस संवाद को अधिक से अधिक लोगों तक अग्रसारित करने का अनुरोध किया गया है.
       फेसबुक पर भी हमलोग देख रहे हैं, केवल सभी लोग कुछ -कुछ लिखते रहते हैं और आपस में प्रतिक्रिया का आदान-प्रदान करते रहते हैं.
      कुल मिलाकर सोसल मिडिया का उपयोग हमलोग केवल समय बिताने के लिए कर रहे हैं.जब कि होना यह चाहिए कि अगर कोई अच्छा विचार आवे और आपस में विमर्श करने के बाद यह पाया जाय कि यह विचार समाज के लिए लाभदायक है तब उस विचार को धरातल पर उतारने की बात सोचकर उसे व्यवहार में लागू किया जाना चाहिए.
      कुछ दिनों पूर्व मेरे द्वारा "लोक जागृति सेना" का गठन कर गाँव तथा शहर की समस्याओं के समाधान की बात फेसबुक पर लिखी गई. उसके बाद कई किश्तों में मैंने विस्तार से सभी पहलुओं की विवेचना किया है तथा समझाया है कि किस प्रकार हमलोग "लोक जागृति सेना" के माध्यम से अपनी अधिकांश समस्याओं का समाधान कर सकते हैं और जनप्रतिनिधियों तथा सरकारी-तंत्र दोनों को अपना काम ठीक से करने के लिए बाध्य कर सकते हैं.
      सैकड़ों लोगों के द्वारा मेरे इस विचार को पसंद किया गया है तथा इसे धरातल पर उतारने की भी बात की गई है, लेकिन अबतक किसी एक गाँव से भी इस विचार को कार्यरूप दिये जाने की सूचना प्राप्त नहीं हुई है.
     बहरहाल, मेरी उपर्युक्त टिप्पणी का अर्थ यह कदापि नहीं है कि मैं निराश हूँ या अपने किसी भाई पर दोषारोपण कर रहा हूँ.मेरा पक्ष केवल इतना है कि सोसल मिडिया पर अच्छी बातों की केवल चर्चा ही नहीं होनी चाहिए वल्कि इन अच्छी बातों को धरातल पर लागू किये जाने की भी बात होनी चाहिए और लागू किया भी जाना चाहिए.
       मेरी पहल पर मेरे क्षेत्र में कुछ गाँवों में गाँव की मासिक आम सभा हो भी रही है, लेकिन "लोक जागृति सेना" का विचार नया है और अगर इसे लागू किया जाय तो प्रभावकारी हो सकता है.
     मैंने अपने समूह में कई  लोगों को इन विचारों को भेजा भी है, लेकिन अबतक ये विचार मुख्य रूप से फेसबुक पर ही हैं.
    आज मैंने विचार किया है कि समजोपयोगी इन विचारों को क्रमवार अपने समूह के आप मित्रों को भेजूँ और इन विचारों पर आपकी प्रतिक्रिया जानूँ.
   उद्देश्य यह है कि आपस में विचार-विमर्श कर हमलोग समाज के लिए सचमुच कुछ अच्छा करें.
       राधा बिहारी ओझा.
दिव्य रश्मि केवल समाचार पोर्टल ही नहीं समाज का दर्पण है |www.divyarashmi.com

एक टिप्पणी भेजें

0 टिप्पणियाँ