Advertisment1

यह एक धर्मिक और राष्ट्रवादी पत्रिका है जो पाठको के आपसी सहयोग के द्वारा प्रकाशित किया जाता है अपना सहयोग हमारे इस खाते में जमा करने का कष्ट करें | आप का छोटा सहयोग भी हमारे लिए लाखों के बराबर होगा |

हिन्दुओ के टूट का कारण

हिन्दुओ के टूट का कारण

डॉ राकेश दत्त मिश्र 

राष्ट्र शब्द का प्राचीनतम प्रयोग सृष्टि के उषाकाल की पहली पुस्तक ऋग्वेद में आया है | राजनीतिक रूप से 25  देशों में विभक्त होने पर भी मोटे तौर पर अफगानिस्तान , पाकिस्तान बांग्लादेश , भारत , नेपाल, थाईलैंड, बर्मा, मलेशिया, इंडोनेशिया आदि को भारत या हिंद समझा जाता रहा है |  712  इसवी में भारत के 1 राज्य संघ पर इस्लामी आक्रमणकारियों का आक्रमण हुआ जिसे उन्हों ने अपने रिकॉर्ड में हिंद पर हमला लिखा था| यही से शुरुआत हुई गजवा ए हिंद की चर्चा | जिस काल में इस्लामी पुस्तकों में हिंद के नाम आते है |  तब भी भारत एक राजनीतिक इकाई नहीं था कोई इसे जैसे चाहे देखे मगर भारत को नष्ट करने, उसका स्वरूप बदलने की सदियों से योजनाएं बनाने वालों के लिए सांस्कृतिक भारत के संपूर्ण भारत यानी हिंद है | हम पर आक्रमण करने, धन संपत्ति लूटने , स्त्रियों के अपहरण करने , गुलाम बनाने के लिए नहीं बल्कि हम पर आक्रमण हमारी भूमि को इस्लामी बनाने , विश्व को इस्लामी बनाने के चिंतन की आधार भूमि बनाने के लिए हुए हैं | इसी को गजवा-ए-हिन्द कहते हैं हिंद से अभी तक अफगानिस्तान , पाकिस्तान,  बांग्लादेश जैसे भूभाग जा चुके हैं | ऐसा इसलिए नहीं हुआ कि क्षेत्र में इस्लाम ने हम से अंतिम लड़ाई जीती थी , उन्हें दोबारा से भी हासिल किया गया फिर क्या हुआ कि हमारी धरती हमसे छिन ली गई | इसका मुख्य कारण था कि इस्लामी जीते या हारे उनका लक्ष्य हिंदू यानी उनकी दृष्टि में काफिरों को इस्लाम के रास्ते पर लाना था सिंध पर आक्रमण कर विजय के बाद इस्लामी आक्रमणकारियों ने मंदिर तोड़े मंदिरों को मस्जिद में बदला और हिंदुओं को मुसलमान बनाया 50 वर्ष भी नहीं हुए हमने उन्हें रहने नहीं दिया | उन सब को काट पीट कर वापस भगा दिया गया | तोड़े गए मस्जिद को वापस मंदिर में बदल दिया गया |बहुत संख्यक धर्मप्रीत वापस हिंदू बना लिए गए मगर कुछ धर्मार्थ हिंदू मुसलमान बने रहते हैं यहीं से इस रोग की शुरुआत हुई हर आक्रमण के साथ इस्लाम अपने बीज हमारे अंदर डालता चला गया और अपनी संख्या को बढ़ाता चला गया सूफी मुल्लाह बादशाह सेनापति नवाब सामान्य गृहस्थ आदि इस्लाम के प्रचारक हिंदुओं को मुसलमान बनाते रहे हिंदुओं को सदियों से इसकी चिंता नहीं हुई कि देश में क्या हो रहा है मुसलमानों की जनसंख्या जिस-जिस रफ्तार से बढ़ती गई जिस-जिस क्षेत्रों में बढती गई वहां के हिंदुओं को छल-बल, धन-बल  आदि से इस्लाम में दिक्षित करने का कार्य और तीव्र गति से किया जाने लगा भारत के टूटने का मुख्य कारण हमारी  पराजय नहीं बल्कि धर्मांतरण है| जो जो वस्तु जहां खोई होती है वही से मिलती भी है | हमने अपने लोग अपनी धरती धर्मांतरण के कारण हुई थी यह सब वही से वापस मिलेगा जहां गवाया था|

हिन्दू धर्म के तथाकथित कथा वाचक मुरारी बापू और उसके जैसे और दूसरे कथावाचक भी राम कथाओं में अचानक से इस्लाम का प्रचार करने लगते है यह कोई अन्यास नहीं हो रहा है वल्कि यह एक सोची समझी रणनीति के तहत किया जाने वाला कार्य है | क्या आपने कभी सोचा ऐसा क्या है? तो आइए हम आप को बताते है इन सब के पीछे की साजिश | इन सब के पीछे हाथ है सऊदी अरब के बहावी संस्थाओं का | मुरारी बापू और कुछ  अन्य कथावाचक पिछले कुछ दिनों से विवाद में हैं क्योंकि वह अपनी कथाओं में इस्लाम का महिमामंडन कर रहे थे| जब विरोध हुआ तो कुछ ने माफी मांग ली और कुछ ने  यह कहना शुरू कर दिया कि ईश्वर और अल्लाह में कोई अंतर नहीं है और उनकी नियत में कोई खोट नहीं है | परंतु जो संकेत मिल रहे हैं उसके मुताबिक पर्दे के पीछे की कहानी कुछ और ही बयां करती हैं इस पूरे मामले को यदि देखा जाए तो नजर आता है कि इनके पीछे अरब के पैसे या यु कहें ‘गल्फ मनी’  कहीं ना कहीं लगी हुई नजर आती है | सवाल यह उठता है कि आखिर अरब के संस्थाओं को ऐसे कथावाचक ओं में क्या दिलचस्पी हो सकती है दरअसल मुरारी बापू और उसके जैसे जितने भी कथावाचक हैं जो इस्लाम के प्रचार में लगे हैं वह दरअसल इंडोनेशिया मॉडल का एक हिस्सा है इंडोनेशिया मॉडल यानी वह तरीका जिसके जरिए इंडोनेशिया को इस्लामिक देश में बदला गया था या यह एक तरह की धार्मिक घुसपैठ है | जिसमें चुपचाप दूसरे धर्म के लोगों को दूसरे धर्म में हस्तांतरित कर दिया जाता है | इस आसान तरीके से बिना हो हल्ला के धर्मंत्र्ण कर दिया जाता है | इसमें चुपचाप इस्लाम का प्रचार किया जाता है | इंडोनेशिया मॉडल के पीछे सऊदी अरब की कुछ बहावी संस्थाओं का हाथ है |

इंडोनेशिया के बाद अब भारत की बारी है |

इंडोनेशिया में 15वीं शताब्दी में अरब और भारत से इस्लाम के कदम पड़े थे| शुरू में जावा , सुमात्रा और वाली दीप  पर इनका आना हुआ था | 16 वीं शताब्दी तक इंडोनेशिया में ज्यादातर आबादी हिंदुओं की थी | राजा भी हिंदू हुआ करते थे , लेकिन बाद के 100 सालों में इंडोनेशिया की आबादी का स्वरूप बिल्कुल बदल गया इस काल में बड़ी संख्या में लोगों ने हिंदू देवी देवताओं की पूजा तो जारी रखी  लेकिन अपने धर्म को बदलकर हिंदू से इस्लाम अपना लिया | आज जो काम राम कथा के नाम भारत में हो रहा है वहीं कभी इंडोनेशिया में भी हुआ करता था | इंडोनेशिया में रामलीला के नाम पर इसी प्रकार का कार्य किया गया था | जिसमें अरब देशों के कारोबारियों का पैसा लगाया गया था |उन्होंने रामलीला के जरिए इस्लाम का प्रचार शुरू किया रामलीला के मंचन के दौरान राम की कथा के बीच इस्लाम की महिमा के बारे में बताया जाने लगा रामलीला तो होती रही लेकिन हिंदू धर्म का देखते ही देखते सफाया हो गया आज भी इंडोनेशिया में ऐसे रामलीला का मंचन होता है जिसमें सऊदी अरब की बहावी संस्थाओं से फंड लगाया जाता है| आज बहुत ही प्लानिंग तरीके से इसी मॉडल को भारत में भी लागू किया जा रहा है जिसके यही अली मौला गाने वाले कथा वाचक मोहरा बन रहे हैं | शायद आपको जानकारी नहीं हो , मैं बता देना चाहता हूं कि इंडोनेशिया में कई रामलीला मंडल ऐसे भी है जो अभी तक इस्लामी संक्रमण से खुद को दूर रखने में सफल हो पाए हैं और अपने को दूर रखे हुए हैं | इन वहावियो ने इंडोनेशिया का पूरा भूगोल बदल दिया आज इंडोनेशिया सरकारी तौर पर बहु धार्मिक देश बन चुका है यहां कुल मिलाकर 6 धर्मों के मानने वाले लोग रहते है | जिसमे बड़ी संख्या में रहते इस्लाम के लोग जो 87 परसेंट है , कैथोलिक ईसाई सात पर्सेंट है प्रोटेस्टेंट ईसाई दो पर्सेंट है और जहां कभी हिंदुओं की बहुलता थी आज हिंदू मात्र 1.7 परसेंट पर सिमट गया और बौद्ध जीरो पॉइंट 7 परसेंट और कन्फ्यूशियस 0.05% पर सिमटा हुआ है | परन्तु आपको यह जानकर भी हैरानी होगी कि बहुसंख्यक होने के बावजूद मुसलमानों ने अभी तक बाकी धर्म के लोगों को कैसे जीने दिया है जो कि कहीं भी उनकी आबादी जैसे ३०% से ऊपर होती है तो दूसरे धर्म के लोगों का जीना हराम कर देते हैं लेकिन यहाँ के लोगों ने भले ही इस्लाम को स्वीकार कर लिया लेकिन आज भी उनकी आस्था हिंदू देवी-देवताओं के और हिंदू त्योहारों के ऊपर बनी रहती है जो अभी तक खत्म नहीं हुई है | लेकिन यह अब तेजी से बदलती  जा रही है जो मुसलमान आज भी हिंदू आस्था से जुड़े हुए हैं उन्हें बहावी  धर्म के लोग बाहरी कट्टरपंथी इस्लाम के तरफ मोड़ने पर आमादा हो गए हैं उन्हें कट्टरपंथ की ओर मोड़ा जा रहा है आज यहां बाली एक मात्र ऐसा दीप है जिसमें हिंदू आबादी कुछ ठीक-ठाक है नहीं तो पूरे इंडोनेशिया से सभी धर्मों को समाप्त कर इस्लाम को लाया गया है | यह मॉडल सभी देशों में लागू किया जा रहा है भारत में भी इसी प्रकार से मुसलमानों का वर्चस्व कायम करने की चेष्टा की जा रही है|  ठीक  यही प्रयोग आजकल मॉरीशस में चल रहा है अभी मॉरीशस में भी रामलीला मंडलियों और कई कथावाचको को बहाबीयो ने इतना पैसा दे दिया है कि वह रामलीला मंचन के दौरान या फिर अपनी कथाओं के दौरान बीच-बीच में इस्लाम का प्रचार करने लगते हैं इसलिए हमारा सभी सनातनियो से अनुरोध है इस प्रकार के कालनेमि राक्षसों  से सावधान रहें , यह सारे धूर्त पैसे के भूखे हैं जो भारत में हिंदू धर्म को बर्बाद करने का ठेका ले रखें है ।

अंग्रेजों ने जब बंगाल से टैक्स कलेक्शन का जिम्मा लिया तो उन्होंने हर क्षेत्र को टटोला जहां से वो लूट सकते थे अपने आप को आर्थिक रूप से समृद्ध करने के लिए अंग्रेजों ने सबसे पहला काम किया उन्होंने गोवर्धन पीठ जिसकी स्थापना आदि गुरु शंकराचार्य ने की थी आप पहले आने वाले यात्रियों पर टैक्स वसूलने का कानून लागू किया जिसके तहत 10 रुपए 5 3 और 2 उन्हीं में से एक वर्ग का उन्होंने मंदिर में प्रवेश वर्जित किया उनका संज्ञा दी पुंज तृतीया कंगाल उन्हीं पुंज तीर्थों का नाम लेते हुए उस रेगुलेशन के लागू करने के 125 वर्ष बाद 1932 में डॉक्टर अंबेडकर ने ये लिखा कि शूद्रों का मंदिर में प्रवेश वर्जित किया गया था किसने किया था इस पर विचार करना अंबेडकर जी ने उचित नहीं समझा इसी रेगुलेशन को आगे एंडोमेंट नामक भ्रामक शब्द का प्रयोग करते हुए टेंपल इन द मैटर बनाया गया जिसके तहत भारत के पूरी सहित हजारों मंदिरों में भगवान को चढ़ाए गए धन को अपने कब्जे में कर इंग्लैंड भेजा जाता रहा और शिक्षा और संस्कृति के केंद्र मंदिरों को कमजोर किया जाता रहा लेकिन आश्चर्य तो तब होता है जब आज स्वतंत्र भारत में भी टेंपल इन लागू है आखिर क्यों लागू है तंत्र भारत में आपके दान किए गए पैसे को सरकार पिछले 73 साल से खड़कती चली जा रही है क्यों आपके दान दिए गए धन का उपयोग गैर हिंदुओं के ऊपर किया जाता है क्या हिंदुओं ने आजादी के लडाई इसलिए लड़ी थी कि स्वतंत्र भारत की सरकार उनके श्रद्धा के केंद्र में आपके द्वारा दिए गए दान  के पैसे को कसाई और ईसाइयों के हित में साधन खर्च करें?
दिव्य रश्मि केवल समाचार पोर्टल ही नहीं समाज का दर्पण है |www.divyarashmi.com

एक टिप्पणी भेजें

0 टिप्पणियाँ