मानव सेवा के लिए सीएसआर का समुचित उपयोग आवश्यक : संजय कुमार झा, संस्थापक निदेशक, एनजीओ हेल्पलाइन
पटना, बिहार : संसद में प्रस्तुत नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक (CAG) की ताज़ा रिपोर्ट में एक चौंकाने वाला खुलासा सामने आया है कि भारत सरकार की 63 सार्वजनिक उपक्रमों (PSUs) ने वर्ष 2021-22 में ₹2721.69 करोड़ सीएसआर मद में खर्च किए, परंतु बिहार जैसे विशाल और पिछड़े राज्य को मात्र ₹67.47 करोड़ यानी केवल 2.48% का हिस्सा मिला।
इस विषय पर गहरी चिंता प्रकट करते हुए एनजीओ हेल्पलाइन के संस्थापक निदेशक एवं समाजशास्त्री, चार्टर्ड एकाउंटेंट एवं गरीबी अर्थशास्त्री 'मानसपुत्र' संजय कुमार झा ने कहा कि “बिहार की 10% आबादी और व्यापक विकास आवश्यकताओं को देखते हुए सिर्फ 2.48% सीएसआर फंड मिलना न केवल भेदभावपूर्ण है, बल्कि यह नीति निर्धारण और एनजीओ सेक्टर दोनों की रणनीतिक विफलता का द्योतक है। अब समय आ गया है कि बिहार के एनजीओ संगठित रूप से आगे आएं, पेशेवर दृष्टिकोण अपनाएं और अपने अधिकारों के लिए आवाज उठाएं।”
सीए झा ने सीएजी रिपोर्ट की मुख्य चिंताएं अंतर्गत कहा कि असम को ₹289.79 करोड़, जबकि बिहार को मात्र ₹67.47 करोड़ मिला , ऊर्जा व इस्पात जैसे मंत्रालयों के अधीन कंपनियों ने बिहार को लगभग नजरअंदाज किया , बिहार की सामाजिक, स्वास्थ्य, शिक्षा, महिला सशक्तिकरण और पर्यावरणीय स्थितियां विशेष ध्यान की मांग करती हैं, परंतु उन्हें प्राथमिकता नहीं दी गई।
सीए झा ने एनजीओ हेल्पलाइन की ओर से सुझाव देते हुए कहा कि CSR जागरूकता मंच की स्थापना की जाय , राज्य स्तर पर CSR फंडिंग को लेकर एक समन्वय मंच बनाया जाए जिसमें सभी प्रमुख एनजीओ, नीति निर्माता, CSR कंपनियों के प्रतिनिधि और जनप्रतिनिधि सम्मिलित हों तथा प्रस्ताव लेखन और पेशेवर अप्रोच के अनुसार एनजीओ द्वारा प्रस्तुत परियोजनाएं स्पष्ट, पारदर्शी और निगरानी योग्य होनी चाहिए। चार्टर्ड अकाउंटेंट्स, CSR एक्सपर्ट्स और विषय विशेषज्ञों से मदद ली जानी चाहिए।
सीए संजय कुमार झा ने कहा कि CSR नीति में सुधार हेतु अभियान चलाना होगा ! CSR वितरण में राज्यवार न्यूनतम कोटा आबादी, गरीबी और विकास सूचकांकों के आधार पर तय हो। केंद्र सरकार और नीति आयोग से इस विषय पर सकारात्मक संवाद शुरू हो। राज्य सरकार की भूमिका के लिए हर विभाग में CSR सेल बनाकर परियोजनाओं को एक प्लेटफॉर्म पर लाया जाए। CSR पोर्टल या CSR प्रस्ताव बैंक की स्थापना की जाए जिससे कंपनियों को उचित योजनाएं मिल सकें।
एनजीओ सेक्टर के लिए चेतावनी और अवसर दोनों बताते हुए सीए संजय कुमार झा ने एनजीओ क्षेत्र से अपील करते हुए कहा,“बदलाव की शुरुआत जिम्मेदारी स्वीकार करने से होती है। अगर बिहार के एनजीओ समय रहते संगठित नहीं हुए, तो आने वाले वर्षों में भी उन्हें सीएसआर फंड से वंचित रहना पड़ेगा। यह केवल फंडिंग की नहीं, बल्कि सामाजिक उत्तरदायित्व और भावी पीढ़ियों के भविष्य की बात है।”
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