
बेरोजगार हुए मजदूरों को रोजगार देने के लिए सरकार ने मनरेगा योजना के तहत काम देने के वायदे किये थे। जिला प्रशासन के आदेश के बाद जिले के विभिन्न पंचायतों में मनरेगा के सैकड़ों योजनाओं के तहत 13667 जॉब कार्ड धारियों को रोजगार मुहैया कराये जाने के दावे किये जा रहे है। सतह पर कई योजनाओं के शिलापट्ट भी देखने को मिल रहे है। योजना से हकीकत में कितने को फायदा हुआ यह बता पाना फिलहाल पाना संभव नहीं है।
इस बीच मनरेगा योजना में बड़े पैमाने पर धांधली एवं अनिमियतता की शिकायतें गांव से लगातार मीडिया एवं जिला प्रशासन को मिल रही है। अनिमियतता की खबर भी दैनिक भास्कर में प्रमुखता से प्रकाशित किया गया था। जिसका परिणाम रहा कि जिला प्रशासन की नींद खुली और तमाम योजनाओं की जांच के लिए टीम बना दी गयी लेकिन एक कहावत “का वर्षा जब कृषि सुखाने” वाली कहावत जिला प्रशासन के इस कार्यशैली पर चरितार्थ हो रहा है।
अब जिले में हर जगह बरसात से पैन आहार में पानी जम गया है। मनरेगा के तहत खोदे गए पैन, आहर में भी पानी देखने को मिल रहा है। ऐसे वक्त में अधिकारियों द्वारा योजनाओं की जांच में कितनी सच्चाई एवं ईमानदारी बरती जाएगी। यह सोचने वाली है। जांच के दौरान विभिन्न कार्य स्थलों से जो तस्वीर प्राप्त हुई वह जांच के नाम पर अपने आप में सवाल खड़ा करता है।
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source https://www.bhaskar.com/local/bihar/patna/shekhapura/news/officers-inspected-after-receiving-complaints-of-irregularities-127428234.html
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