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बैंक वाले की आपबीती (लघुकथा)

बैंक वाले की आपबीती (लघुकथा)

शांतनु कुमार सिंह 
बाबूजी हमेशा डांटा करते थे कि अच्छे से पढ़ाई करो नही तो ठेल ठाल के मैट्रिक पास तो हो जाओगे लेकिन सरकारी नौकरी नही मिलेगी। 
तब हमें सरकारी और प्राइवेट का ज्यादा फर्क मालूम नही था। फिर बाबूजी समझाते की बगल वाले सुरेश को देखों सरकारी बाबू है। महीने में 5 दिन दफ्तर नही जाते है तब भी पगार उतनी ही मिलती है। और हमे घंटे के हिसाब से। सुपरवाइजर नाराज हो जाये तो अगले दिन दूसरी नौकरी ढूंढनी पड़ती है। 

फिर लगा कि नौकरी करो तो सरकारी नही तो बेचो तरकारी।हम भी जुट गए जी जान से ibps की तैयारी में। नया नया जवान हुए थे। बगल वाली पिंकिया भी खूब लाइन देती थी। लेकिन हम सबको इग्नोर मार दिए। काहे की महिंद्रा वाले मास्साब बोले कि बेटा ibps में एकदम concentration चाहिए। लौंडियाबाजी तो बिल्कुले छोड़ दो। 

खैर एक दु बार mains में फेल होने के बाद हमारा फाइनल सिलेक्शन हो गया।  उस दिन दुनिया मे सबसे ज्यादा खुश हमरा बाउजी थे , हमरा सरकारी नौकरी जो मिल गया था। समझिये की जिओ का तो भट्टा बैठा दिए होंगे उ फ़ोन पर बतिया बतिया के। अइसन अइसन रिस्तेदार को फ़ोन किये जेकरा नामो हम आज तक नही सुने थे। 

एहि बीच पिंकियों के शादी हो गया। लड़का अडानी फाइनेंस में काम करता था। हम मने मन सोचे कि है तो प्रयवेटे में न। बम्बई में पहिला पोस्टिंग था। बने थे po लेकिन हमारा घर वाला सबको बोलता था कि लड़का बैंक मैनेजर है। काहे की बिहार में बैंक में दुइये गो चीज़ होता है एगो क्लर्क और एगो मैनेजर । 
काम मे मजा तो नही आता था लेकिन तसल्ली था कि सरकारी नौकरी है। 

अभी एको साल नही हुआ था कि बोला कि तुम्हारा बैंक merge हो जाएगा एगो और बैंक के साथ। हमरा बाउजी फ़ोन किये की सुन रहे है कि तुम्हारा बैंक डूब रहा है। हम समझाये की डूब नही रहा है merge हो रहा है। बोले कि जब तुम्हारे बैंक का नामे नही रहेगा तो डुबीएगा न गया। खैर बहुत मुश्किल से समझाये की सरकारी नौकरी है कोई खतरा नही है।

अब सुन रहे है कि प्राइवेट हो रहा है। का बताये माथे सनक गया है। अब तो लग रहा है कि घरे चल जाये। बाउजी बोल रहे है कि ssc का तैयारी करो। फिर पढ़े ओहि सब किताब। राज्यपाल राष्ट्रपति देश राजधानी करेंसी, इतिहास, भूगोल ।  हमसे दोबारा न होगा। कुछ कुत्ता बिलाई है कुछ आदमी सुअर है बहुत आदमी गदहा है। ई सब बना बना के बैंक में घुसे है। अब दोबारा हमसे पढ़ाई ना होगा। का गारंटी है कि ssc का विभाग प्राइवेट नही होगा। फिर बाउजी बोलेंगे की IAS का तैयारी करो। 

पिंकिया के दुगो बच्चो हो गया। हम सरकरिये प्राइवेट खेल रहे है।
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