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अवैध विवाह में घिरे सरकारी शिक्षक: कानून, नैतिकता और शिक्षा व्यवस्था पर प्रश्नचिह्न

अवैध विवाह में घिरे सरकारी शिक्षक: कानून, नैतिकता और शिक्षा व्यवस्था पर प्रश्नचिह्न

छतीसगढ़ संवाददाता रमेश कुमार की खबर |

छतीसगढ़ के बलरामपुर (रामानुजगंज) जिला के प्राथमिक शाला दुभान पारा (केवड़ा शीला ) की पहले से हीं शादीशुदा महिला हेडमास्टर आशा गोलदार और प्राथमिक शाला कमलपुर के हेडमास्टर सह संकुल प्रभारी वासुदेव पाल जो पहले से हीं शादीशुदा हैं का प्रेम प्रसंग अब अवैध शादी में तब्दील हो चूका है I पहली पत्नी से दो संतान के रहते हुए पहली पत्नी को बिना तलाक दिए वासुदेव पाल ने दूसरी शादी कर ली है ,वो भी पहले से शादीशुदा महिला से दूसरी शादी करके कानून को खुलेआम ठेंगा दिखाया है I सबसे बड़ी बात यह है कि वासुदेव पाल की दूसरी पत्नी का भी अपने पहले पति से तलाक नहीं हुआ है I बिना तलाक के पहले से दो शादीशुदा शिक्षक एक पुरुष एक महिला शिक्षक सरकारी सेवा में रहते अवैध शादी करके कानून का खुल्लम खुल्ला उलंघन करके संज्ञेय अपराध किये हैं I इस अपराध की जानकारी होने पर प्राथमिक शाला कमलपुर के हेडमास्टर सह संकुल प्रभारी वासुदेव पाल की पहली पत्नी ने जिला कलेक्टर बलरामपुर,पुलिस अधीक्षक बलरामपुर ,जिला शिक्षा अधिकारी बलरामपुर सहित थानाध्यक्ष रामानुजगंज के समक्ष लिखित शिकायत पत्र देकर इनके विरुद्ध आपराधिक प्रकरण दर्ज करने और दोनों को सरकारी सेवा से बर्खास्त करने की मांग की है I

ज्ञातब्य हो कि हिन्दू मैरेज एक्ट 1955 की धारा 17 के अनुसार अपनी पहली पत्नी के जीवित रहते दूसरी शादी करना एक संज्ञेय अपराध की श्रेणी में आता है I पहली पत्नी के रहते बिना तलाक दूसरी शादी करना भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) की धारा 494 और 495 के अंतर्गत अपराध माना जाता है I आईपीसी की धारा 494 के अंतर्गत इस अपराध के लिए 7 साल की सजा और जुर्माना लगाया जा सकता है और आईपीसी की धारा 495 के तहत ऐसे अपराध के लिए 10 साल की सजा और जुर्माना का प्रावधान है I आईपीसी की धारा 495 आईपीसी की धारा 494 से अधिक गंभीर प्रकृति का होता है, इसमें पहली पत्नी के तथ्य को छुपाने का अपराध होता है जो संज्ञेय अपराध माना गया है I सबसे बड़ी बात यह है कि सरकारी सेवा में कार्यरत दो शिक्षकों ने यह अपराध जानबूझ कर किया है, जिसके कारण समाज के साथ साथ इनके द्वारा अध्यापनरत विद्यार्थियों पर कितना गंदा दुष्प्रभाव पड़ेगा कहना मुस्किल है I समाज में शिक्षकों का अपना एक अलग सम्मान है शिक्षक समाज के लिए आदर्श दर्पण होते हैं और वहीँ जब चरित्रहीनता ,दुष्कर्म और गैरकानूनी अपराध को करते हैं तो वैसी स्थिति में उसका सामाजिक बहिष्कार भी होना चाहिए और इसके साथ हीं इनके आपराधिक कृत्य के लिए इसको कानून सम्मत कार्रवाई करते हुए सजा भी मिलना चाहिए I ऐसे हीं एक मामले में बलरामपुर जिला के वाड्रफनगर ब्लॉक माध्यमिक शाला चांचीडांड के शिक्षक मोहम्मद मुमताज आलम अंसारी को नौकरी से बर्खास्त कर दिया गया है । पीडिता का कहना है कि सिविल सेवा (आचरण) नियम 1965 के नियम तीन एवं नियम 22 (एक) के विपरीत यह कृत्य है जो बिलकुल हीं प्रमाणित है I ऐसी स्थिति में छत्तीसगढ़ सिविल सेवा नियम के प्रविधान अनुसार शासकीय सेवा से दोनों को बर्खास्त किया जाना चाहिए I पीडिता ने एक और मामला लोक शिक्षण संचालनायल छतीसगढ़ के आदेश पत्रक क्रमांक /सत/विलासपुर /103/2021/374 नया रायपुर दिनांक 03/04/2025 में दिए गए आदेश का हवाला दिया गया है जिसमें एक व्याख्याता द्वारा 4 संतान होने की पुष्टि होने पर व्याख्याता श्री नवरतन जायसवाल को सरकारी नौकरी से बर्खास्त कर दिया गया है I

प्राथमिक शाला कमलपुर के हेडमास्टर सह संकुल प्रभारी वासुदेव पाल ने पहली पत्नी के जीवित रहते बिना तलाक दिए प्राथमिक शाला दुभान पारा (केवड़ा शीला ) के महिला हेडमास्टर आशा गोलदार से दूसरी शादी कर लिया है I वासुदेव पाल का पहली पत्नी से दो संतान एक सत्रह वर्षीय पुत्र और दूसरी पंद्रह वर्षीय पुत्री है I जबकि दूसरी पत्नी से दो संतान प्रथम दो वर्ष की पुत्री और दूसरा पांच महीने का पुत्र है I छतीसगढ़ शासकीय सेवा शर्तों के प्रावधान के अनुसार शासकीय कर्मियों को अधिकतम दो संतान हीं रखना है ,अधिक संतान पैदा करने पर नौकरी से बर्खास्त करने का प्रावधान है I बिडम्बना यह है कि अभी तक पीड़िता यानि वासुदेव पाल की पहली पत्नी के साथ न्याय नहीं हुआ है I पहली पत्नी विगत 9 वर्षों से इंसाफ की लड़ाई लड़ रही है । पहली पत्नी ने दहेज़ प्रताड़ना और बिना तलाक दिए दूसरी शादी करने का आरोप अपने पति के विरुद्ध लगाया है I

पहली पत्नी जो ग्राम धनगांव की एक प्रतिष्ठित संस्कारी परिवार से तालुकात रखने वाली है, उसने हमारे स्थानीय संवाददाता को बताया कि सन 2007 में दोनों की शादी हिन्दू रीति रिवाज से बंगाली परंपरा के अनुसार सामाजिक एवं दोनों परिवारों की उपस्थिति में बड़े हीं धूमधाम से केवड़ाशीला के रहने वाले वासुदेव पाल हुई थी I पहली पत्नी ने बताया कि पति के द्वारा व्यवहार न्यायालय अंबिकापुर में व्यवहार वाद प्रकरण संख्या -05/2016 दर्ज कराया गया था जिसमें माननीय न्यायाधीश श्री थॉमस एक्का, कुटुंब न्यायालय अंबिकापुर सरगुजा (छ .ग) द्वारा पति द्वारा तलाक संबधित किये गए केस को दिनांक 02/03/2020 को ख़ारिज कर दिया गया । ऐसे में यह हिंदू मैरिज एक्ट का खुल्लम खुल्ला उल्लंघन है साथ हीं साथ माननीय न्यायाधीश श्री थॉमस एक्का, कुटुंब न्यायालय अंबिकापुर सरगुजा (छ .ग) के आदेश की अवमानना है I हिंदू मैरिज एक्ट 1955 के तहत धारा 17 के अनुसार यदि कोई हिन्दू अपने जीवनसाथी के जीवित रहते हुए दूसरी शादी करता है तो उसे 7 साल की सजा और जुर्माना लगाया जाता है I पहली पत्नी ने बलरामपुर जिला के सभी संबंधित प्रमुख अधिकारियों के समक्ष लिखित शिकायत आवेदन देकर न्याय की गुहार लगाई है । नियमानुसार पीडिता के लिखित शिकायत पर दोनों के विरुद्ध प्राथमिकी दर्ज किया जाना चाहिए और इसके साथ हीं साथ दोनों शिक्षकों को लिखित कारण पृच्छा भेजकर दोनों से उनके लिखित जबाब माँगा जाना चाहिए I दोनों को अविलम्ब नौकरी से निलंबित करके आगे कि विभागीय प्रक्रिया शुरू किया जाना चाहिए और दोनों को नौकरी से बर्खास्त किया जाना चाहिए I पीडिता के लिखित शिकायत पर रामानुजगंज ओ. पी तातापानी में असंज्ञेय अपराध जिसका फेना क्रमांक -42/2025 दिनांक 03/07/2025 दर्ज किया गया है, जबकि ऐसे गंभीर आपराधिक मामले में थानाध्यक्ष को तुरंत प्राथमिकी दर्ज करके मामले का अनुसंधान करना चाहिए और अभियुक्त की गिरफ्तारी होनी चाहिए I जिला कलेक्टर और जिला शिक्षा अधिकारी को पीडिता द्वारा दिए गए लिखित शिकायत पर प्रकरण दर्ज कर प्राथमिक शाला दुभान पारा (केवड़ा शीला ) के महिला हेडमास्टर आशा गोलदार और प्राथमिक शाला कमलपुर के शिक्षक वासुदेव पाल को अविलम्ब निलंबित करके विभागीय कार्रवाई प्रारंभ कर दोनों को नौकरी से बर्खास्त करना चाहिए I

कानूनी प्रावधान

कानून / धाराअपराध का विवरणअधिकतम सजा
हिंदू विवाह अधिनियम, 1955 की धारा 17जीवनसाथी के जीवित रहते दूसरी शादीदंड IPC 494/495 के तहत
IPC धारा 494पहली पत्नी/पति के रहते दूसरी शादी7 वर्ष की कैद + जुर्माना
IPC धारा 495पहली शादी का तथ्य छुपाकर दूसरी शादी10 वर्ष की कैद + जुर्माना
सिविल सेवा (आचरण) नियम, 1965 का नियम 3 और 22(1)सरकारी सेवक का आचरण नियम विरुद्धसेवा से बर्खास्तगी
छत्तीसगढ़ सिविल सेवा नियम (परिवार नियोजन प्रावधान)दो से अधिक संतानसेवा समाप्ति का प्रावधान

निष्कर्ष

यह मामला केवल दो व्यक्तियों के निजी जीवन का विवाद नहीं है, बल्कि यह कानून, नैतिकता और शिक्षा व्यवस्था तीनों से जुड़ा है।
यदि ऐसे मामलों में समय पर और सख्त कार्रवाई नहीं होती, तो यह नजीर बन सकता है कि सरकारी सेवक भी कानून तोड़कर बच सकते हैं।
समाज और प्रशासन दोनों की जिम्मेदारी है कि ऐसे मामलों में कानून का पालन सुनिश्चित किया जाए और शिक्षा व्यवस्था की गरिमा को बरकरार रखा जाए।

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