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आयुर्वेद बनाम एलोपैथी।

आयुर्वेद बनाम एलोपैथी।
कृष्ण बल्लभ  शर्मा 'योगी राज'
एक बार बचपन में हम पपीता के 16 फ़ीट लंबा पेंड़ पर चढ़कर पपीता तोड़ रहे थे और पपीता का पेंड़ टूट जाने से पेंड़ समेत हम 16 फ़ीट की ऊँचाई से नीचे गिर गए। 

माँ ने दर्द और सूजन वाले स्थान पर हल्दी चुना चोटसज्जी का लेप चढ़ाकर हल्दी दूध का गर्म घोल पिला दिया और हो गया पक्का ईलाज।

फिर एक बार बचपन में हम जामुन के 20 फ़ीट ऊँचा पेंड़ पर चढ़कर जामुन तोड़ रहे थे और जामुन के पेंड़ का मोटा डाल टूटकर गिरने से पेंड़ के डाल समेत हम 20 फ़ीट की ऊँचाई से नीचे गिर गए।

माँ ने फिर उसी तरह दर्द और सूजन वाले स्थान पर हल्दी चुना चोटसज्जी का लेप चढ़ाकर हल्दी दूध का गर्म घोल पिला दिया और हो गया पक्का ईलाज।

उसके बाद एक बार हम धर्मेद्र का सिनेमा देखकर अपने घर के दोमंजिला छत पर से सीधे नीचे कूद गए तो घुटना में बाँह टकराने के कारण बाँह में सूजन और दर्द होने लगा।

छोटे भाई को गोद में लेकर छत से नीचे गिर गए और चेहरा माथा फुट गया और कई जगह चोट लगा दर्द और सूजन हुआ। 

माँ ने फिर वही हल्दी चुना चोटसज्जी का लेप चढ़ाकर गर्म हल्दी दूध पिला दिया और हो गया ईलाज। कटे फटे खून बहते स्थान पर कुकरौंधा के पत्ते का रस लगा दिया गया। उसके बाद गेंदा फूल के पत्तों का रस कुछ दिन कटे फटे स्थान पर लगाया गया और हो गया पक्का ईलाज।

कुछ बड़ा होने पर प्रतिदिन फुटबॉल खेलने का शौक जगा तो बारम्बार धड़ाम धुडुम उछल कूद भड़ाम भुडूम के चक्कर में हमेशा जब तब हाथ पैर कंधा में चोट मोच होने लगा। मारपीट लड़ाई झगड़ा में भी जोरदार भागीदारी होती रही। हर बार वही हल्दी चुना चोट सज्जी का लेप लगाकर गर्म हल्दी दूध पीकर दर्द सूजन चोट से मुक्ति पाते रहे। 

आयुर्वेद को जीवन में अपनाने के कारण जीवन में कभी कोई परेशानी नहीं हुई। एलोपैथी डॉक्टर के यहाँ अपने ईलाज के लिए हम जाते नहीं और एलोपैथी की अंगरेजी दवा हम खाते नहीं। योगासन प्राणायाम, शुद्ध शाकाहारी भोजन, आयुर्वेदिक जीवन पद्धति अपना कर स्वस्थ रहते हैं। परंतु इसके लिए कोई विशेष खर्च नहीं करना पड़ता है और हमारे आयुर्वेदिक जीवन पद्धति से समाज में किसी को लाखों रुपया का लाभ नहीं हो पाता और किसी 100-50 आदमी को कोई रोजगार भी नहीं मिल पाता।

अब एलोपैथी चिकित्सा पद्धति और एलीपैथी डॉक्टर का विकासवादी रोजगारोन्मुख खेल तमाशा देखिये।

हमारे एक अधिवक्ता मित्र को आयुर्वेद पर भरोसा नहीं है और वह हमेशा एलोपैथी के बड़े डॉक्टर के चक्कर में लगे रहते हैं तथा लाखों रुपया एलोपैथी के ईलाज के चक्कर में खर्च करते रहते हैं।

हमारे उपरोक्त अधिवक्ता मित्र का छोटा बेटा पलंग से नीचे गिरकर रोने लगा तो उसको लेकर एलोपोथी डॉक्टर के पास पहुंच गए। बच्चे का एक्स-रे हुआ, होल बॉडी सीटी स्कैन हुआ, एम0आर0आई0 टेस्ट हुआ, बच्चे को ताबड़तोड़ टेबलेट, कैप्सूल, इंजेक्शन भोंका गया और पूरा ईलाज में करीब बीस हजार रूपया का खर्च हुआ। उसके बाद डॉक्टर ने बताया कि बच्चा को कुछ नहीं हुआ है और केवल पलंग से नीचे गिर जाने के कारण थोड़ी चोट लगने की वजह से बच्चा रोने लगा था।

पलंग से गिरकर बच्चे की रुलाई के कारण गार्जियन का बीस हजार रुपया खर्च हुआ एलोपैथी के ईलाज पर। इससे डॉक्टर, कम्पाउंडर, दवा दुकानदार, दवा कम्पनी, पैथोलॉजी, एक्स-रे सेंटर, एम0आर0आई0 सेंटर चलाने वाले तमाम लोगों को आर्थिक लाभ हुआ और इतने सारे लोगों को लाभदायक रोजगार भी मिला।

इसीलिए देश की विकासवादी सरकार और गैरसरकारी संगठन तथा एलोपैथी डॉक्टर, कम्पनी, दलाल आदि द्वारा सम्मिलित प्रयास करके आयुर्वेद को समाप्त करके एलोपैथी के प्रोत्साहन का योजनाबद्ध प्रयास सम्पूर्ण भारत में और सम्पूर्ण विश्व में निरंतर जारी है।
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