चुनाव के
पहीले औऊ बाद में .......
चुनाव के ........
अच्छा लगेहल ........
हर आदमी , हर जात गाँव के ....... ।
जात ही पर ......
जात से कुढ़ल ही ......
हो के प्रताड़ित भी ......
पंघत से जूटल ही ....... ।
शादी संस्कार ......
जाते मे कर्ईत ही ईयार ......
समाजे मे सम्बंधी .......
बेईज्जत करीत हे बार बार ..... ।
निर्धन पर दया न ......
न बेटी से मोह हे .......
छोड्अ - छोड्अ इ जात न ......
गिरोह हे ....... ।
अच्छा तो बेचारा ......
पड़ोसी विजाती हे .......
सम्भाल ले हे दूरा .......
आव्अ जब प्रतिष्ठा के बराती हे .... ।
सम्धीं के पैर पर पगडी़ पड़ल ......
उठा के माथे हमर धर देलक .......
हम ब्राह्मण इयार बनिया हल हमर ........
बेईज्जती पर वर के बाप के मूँह भर देलक .... ।
जात , नेता , सम्धीं , दमाद ........
औऊ भगीना ........
पियाअव केतनो दूध ........
ई पांचो न होथू अपना ....... ।
मंत्र ब्राहम्ण के , पंडित के वर्तन .......
न्ऊवा के नरहनी , ढ़ोल पर कीर्तन .......
हिन्दुत्व सम्पूर्ण जाती ह्ई .........
समझा गेलथी हल मोहन ........ ।
बिगड़ गेल हे धारा .......
राजनीत और समाज के बहाव के .......
पहीले औऊ बाद मे चुनाव के ........
हर आदमी - हर जात अच्छा लगेहल गाँव के ..... ।
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