मरना तय है(कविता)
चाहे तुम लाख कोशिश कर लो,
पर होनी तो होकर हीं रहेगी।
कहीं किसी का दिल दहलेगा तो-
कहीं पर पलकें भी बिछेगी।।
ये तो होता हीं रहता है संसार में,
एक दूसरे के विपरीत।
चलता रहता है साश्वत नियम-
उत्थान-पतन बैर-प्रीत।।
जीने वाले तो हर तरह से जीते हैं,
मरने वाले भी तरह-तरह से मरते हैं।
साथ-साथ लगा रहता है सबके-
जो करते हैं भरते है।।
हमेशा लोग बात बोलते हैं,
अमृत-जहर घोलते हैं।
फिर भी आशा भरी नजरों से-
मर्म टटोलते हैं।
उसी की इच्छा से सब हो रहा है,
यह हँस रहा है वह रो रहा है।
दुनियां की गजब लीला है-
एक छोड रहा है एक ढो रहा है।
देखकर के हम कुछ कर नहीं सकते?
सच कहता हुँ,कुछ संशय है?
जीने की तुम लाख कोशिशें कर लो-
पर मरना तो तय है।।
--:भारतका एक ब्राह्मण.
संजय कुमार मिश्र "अणु"
वलिदाद,अरवल(बिहार)
पिन.नं.८०४४०२
दिव्य रश्मि केवल समाचार पोर्टल ही नहीं समाज का दर्पण है |www.divyarashmi.com
0 टिप्पणियाँ
दिव्य रश्मि की खबरों को प्राप्त करने के लिए हमारे खबरों को लाइक ओर पोर्टल को सब्सक्राइब करना ना भूले| दिव्य रश्मि समाचार यूट्यूब पर हमारे चैनल Divya Rashmi News को लाईक करें |
खबरों के लिए एवं जुड़ने के लिए सम्पर्क करें contact@divyarashmi.com