देखत नैन जुड़ाये
सनन सनन सन बहत पवन मोर आँचल आज उड़ाये ।
सपनों के इस राजकुँवर को देखत नैन जुड़ाये ।।
रिमझिम-रिमझिम बरसत सावन प्रेम-बूंद बरसाये ।।
सपनों के इस राज कुँवर को देखत नैन जुड़ाये ।।
छनन छनन छन पायल बाजे क्षण-क्षण आस जगाये ।
पिया मिलन की आस लगाये हाय ! हिया हर्षाये ।।
प्रेम-विरह की मारी मैं तो मन पल-पल तड़पाये ।
सपनों के इस राजकुँवर को देखत नैन जुड़ाये ।।
बारी उमर मोरी बीति सखी री ! यौवन जोर लगाये ।
पोर-पोर मोर उठत लहर अब लहर-लहर लहराये ।।
लचक-लचक मोरी पतली कमरिया लचकाये-बलखाये ।
सपनों के इस राजकुँवर को देखत नैन जुड़ाये ।।
क्षण-क्षण छेड़े तार हृदय के मन मृदंग बजाये ।
मिले मुझे चितचैन नहीं अब बिन प्रियतम को पाये ।।
जनम-जनम से जिसकी एक झलक हित नैन गड़ाये ।
सपनों के इस राजकुँवर को देखत नैन जुड़ाये ।।
कवि चितरंजन 'चैनपुरा' , जहानाबाद, बिहार, 804425