मूर्खतापूर्ण आक्षेप
पंडित श्रीकृष्ण दत्त शर्मा, अवकाश प्राप्त अध्यापक
सी 5/10 यमुनाविहार दिल्ली
कुछ मूर्ख लोग कहते फिर रहे है कि भारत मे इतने मंदिर है अथवा भारत में इतने
साधु हैं, क्या इनमें से कोई भी ऐसा
चमत्कारी नहीं जो कोरोना को काबू में कर सके,अपनी सिद्धि
साबित करो या पाखंड़ बन्द करो।
उत्तर- पहले ये बताओ कि तुम महात्माओं के
अथवा भगवान के बताए हुए मार्ग पर चलते हो क्या ?
यदि ऐसा नहीं है तो उनको चैलेंज किस अधिकार
से कर रहे हो?
क्या हमारे ही साधु संतों ने सबका ठेका ले रखा है ?
पाप करते समय हमारे महात्माओं से पूछकर करते
हो क्या?
जब मनुष्य पाप कर्म करता है !
जब मनुष्य क्रूरता से जानवरों को काटता है !
जब मनुष्य गायों को काटता है!
जब मनुष्य सूअर का मांस खाता है !
जब मनुष्य मुर्गी को हलाल करता है !
जब मनुष्य अनाप-शनाप शराब पीता है !
जब मनुष्य पेड़ पौधे को काटकर बेचता है !
जब मनुष्य ने पहाड़ काट दिए !
जब मनुष्य अपने ही पत्नी की हत्या करने लगा !
स्त्री अपने पति की हत्या करने लगी !
जब मनुष्य चारित्रहीन हो गया !
जब मनुष्य क्रूरता से जानवरों को काटता है !
जब मनुष्य गायों को काटता है!
जब मनुष्य सूअर का मांस खाता है !
जब मनुष्य मुर्गी को हलाल करता है !
जब मनुष्य अनाप-शनाप शराब पीता है !
जब मनुष्य पेड़ पौधे को काटकर बेचता है !
जब मनुष्य ने पहाड़ काट दिए !
जब मनुष्य अपने ही पत्नी की हत्या करने लगा !
स्त्री अपने पति की हत्या करने लगी !
जब मनुष्य चारित्रहीन हो गया !
यह सब पाप कर्म मनुष्य करता है, अपने भोग के लिए लिप्सा की
पूर्ति के लिए, और जब उस पर प्राकृतिक विपदा अर्थात् उस परम
प्रकृति शक्ति महामाया देवी का क्रोध उत्पन्न होता है तो अब त्राहिमाम त्राहिमाम
क्यों कर रह रहा है?
कष्ट को भोगना पड़ेगा !
क्यों पाप कर्म किए ?
क्यों पाप कर्म किए ?
क्यों गलत काम किए ?
क्यों जिंदा जानवरों को खा गए ?
क्यों शराब पीते हो ?
क्यों जिंदा जानवरों को खा गए ?
क्यों शराब पीते हो ?
पापकर्म करते समय सोचते नहीं हो, और आज सोचने आए हो कि कोई
बाबा जाए, तांत्रिक आ जाए और इस वायरस को रोक ले।
प्रकृति के साथ खिलवाड़ करोगे तो प्रकृति को
रोकना मुश्किल है।
जब तूफान चलता है तो उसे कोई नहीं रोक सकता ।
जब सुनामी आती है तो उसे कोई नहीं रोक सकता ।
जब दावानल आता है तो उसे कोई नहीं रोक सकता।
अभी भी सरकार बचाव के उपाय बता रही है, लोगों को प्रेरित कर रही है
पर लोगों की हरकतें आप सबके सामने हैं।
केवल मनुष्य ही प्रकृति की संतान है क्या????
जी नहीं, प्रकृति के साथ साथ सम्पूर्ण जीव जगत की
जननी प्रकृति ही है।
तुम प्रकृति का संतुलन बिगाडोगे तो प्रकृति खुद संतुलन बना लेगी।
तुम प्रकृति का संतुलन बिगाडोगे तो प्रकृति खुद संतुलन बना लेगी।
साधु संतो का काम वायरस भगाना नहीं है, आत्मज्ञान के लिए प्रयासरत
रहना है। एक सही जीवनशैली सही आदर्श प्रस्तुत करना है।
ऐसे लोग केवल साधु और सिद्ध महात्मा को
चैलेंज कर सकते हैं।
उन्हे क्यो नहीं चैलेंज करते जो बड़े बड़े सिद्ध बंगाली, पीर, फकीर, मौलवी, फादर होने का दावा करते हैं। जिनका पोस्टर जगह-जगह नजर आता रहता है।
उन्हे क्यो नहीं चैलेंज करते जो बड़े बड़े सिद्ध बंगाली, पीर, फकीर, मौलवी, फादर होने का दावा करते हैं। जिनका पोस्टर जगह-जगह नजर आता रहता है।
पुनश्च थोड़ा उधर भी प्रश्न चिन्ह लगाइए जो
बहुत विकसित और वैज्ञानिक और एडवांस्ड मानव सभ्यता होने का दम्भ भरते थे।