Advertisment1

यह एक धर्मिक और राष्ट्रवादी पत्रिका है जो पाठको के आपसी सहयोग के द्वारा प्रकाशित किया जाता है अपना सहयोग हमारे इस खाते में जमा करने का कष्ट करें | आप का छोटा सहयोग भी हमारे लिए लाखों के बराबर होगा |

कल्पना की अल्पना में,पागल प्रेमी कवि समान

कल्पना की अल्पना में,पागल प्रेमी कवि समान

निज आरेखित जग पटल,
स्व परिध मस्त मगन ।
पृथक दृष्टि सोच विचार,
नित निहार धरा गगन ।
हृदयंगम मनोरम छटा,
शब्द मौन संकेत प्रज्ञान ।
कल्पना की अल्पना में,पागल प्रेमी कवि समान ।।


विक्षिप्त अनुपमा उन्माद ,
निशि वासर एक्य बिंदु ।
प्रेमी प्रेयसी अनुबंध नेह ,
परस्पर दर्श आनंद सिंधु ।
कवि आह्लाद सृजन संग,
परिवेश स्पंदन काव्य शान ।
कल्पना की अल्पना में,पागल प्रेमी कवि समान ।।


उपर्युक्त त्रि आयामी उपमा,
स्वप्निल जगत अनूप पथिक ।
दृश्य परिदृश्य बिंब अंतर ,
मनोभाव चित्रण भव्य रसिक ।
चाल ढाल भाव भंगिमा ,
नित्य आतुर नव कीर्तिमान ।
कल्पना की अल्पना में,पागल प्रेमी कवि समान ।।


उन्मत्त संज्ञा सनक खनक ,
चकोर चातक तत्पर रोमांस ।
मोहक सोहक काव्यकार छवि,
शब्द संरचना पट भाव रोमांच ।
सृष्टि सदृश कर्म धर्म निर्वहन ,
ध्येय सौंदर्य माधुर्य दिव्य बखान ।
कल्पना की अल्पना में,पागल प्रेमी कवि समान ।।


कुमार महेन्द्र
(स्वरचित मौलिक रचना)
हमारे खबरों को शेयर करना न भूलें| हमारे यूटूब चैनल से अवश्य जुड़ें https://www.youtube.com/divyarashminews #Divya Rashmi News, #दिव्य रश्मि न्यूज़ https://www.facebook.com/divyarashmimag

एक टिप्पणी भेजें

0 टिप्पणियाँ