कल्पना की अल्पना में,पागल प्रेमी कवि समान
निज आरेखित जग पटल,स्व परिध मस्त मगन ।
पृथक दृष्टि सोच विचार,
नित निहार धरा गगन ।
हृदयंगम मनोरम छटा,
शब्द मौन संकेत प्रज्ञान ।
कल्पना की अल्पना में,पागल प्रेमी कवि समान ।।
विक्षिप्त अनुपमा उन्माद ,
निशि वासर एक्य बिंदु ।
प्रेमी प्रेयसी अनुबंध नेह ,
परस्पर दर्श आनंद सिंधु ।
कवि आह्लाद सृजन संग,
परिवेश स्पंदन काव्य शान ।
कल्पना की अल्पना में,पागल प्रेमी कवि समान ।।
उपर्युक्त त्रि आयामी उपमा,
स्वप्निल जगत अनूप पथिक ।
दृश्य परिदृश्य बिंब अंतर ,
मनोभाव चित्रण भव्य रसिक ।
चाल ढाल भाव भंगिमा ,
नित्य आतुर नव कीर्तिमान ।
कल्पना की अल्पना में,पागल प्रेमी कवि समान ।।
उन्मत्त संज्ञा सनक खनक ,
चकोर चातक तत्पर रोमांस ।
मोहक सोहक काव्यकार छवि,
शब्द संरचना पट भाव रोमांच ।
सृष्टि सदृश कर्म धर्म निर्वहन ,
ध्येय सौंदर्य माधुर्य दिव्य बखान ।
कल्पना की अल्पना में,पागल प्रेमी कवि समान ।।
कुमार महेन्द्र
(स्वरचित मौलिक रचना)
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