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दिल की बात

दिल की बात

जय प्रकाश कुवंर
कितना लिखूँ मन की बातों को,
कोने कोने भर गयी है यह पाती।
मन की हर भावनाओं को कभी,
कागज कलम से उकेरी नहीं जाती।।
पास होने से आदमी का,
शब्दों से ज्यादा चेहरा पढ़ा जाता है।
दिल का हर अनकहा राज,
चेहरे पर झलक जाता है।।
मन की हर भावनाओं को,
आदमी का चेहरा बता देता है।
चेहरे से भी जो कुछ छिपता है,
वह सब आंखों का भाव बता देता है।।
पैसा कमाने और कर्तव्य निभाने में,
सभी अपनों से दूर दूर हैं।
नजदीक रह कर दर्द समझने में,
सभी अपने बहुत मजबूर हैं।।
कर्तव्य निभाना सबकी मजबूरी है,
इसके बिना तो अब जीवन ही अधुरी है।
पर आज कल के बिखरते रिश्तों को देख,
सदा दूरी रखने से कभी संपर्क भी जरूरी है।। 
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