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निहोरा

निहोरा

जय प्रकाश कुवंर
इहे बा निहोरा सब से मिलजुल के रहीं।
दोसरो के सुनीं आउर आपनों कुछ कहीं।।
जिनिगी के डगर बाटे बहुते कठिन ।
कहिया सांस बंद होई जानत नइखे मन।।
केहऽ आपन केहऽ गैर मत बिलगाईं।
सबका से प्रेम करीं आ गले से लगाईं।।
बड़ा छोह कके रामजी इ तन देले बाड़े।
उपर बैठल नेकी बदी सब देखत बाड़े।।
जतना भी होखे जीवन नेकी में लगाईं।
बदी केहू के करे खातिर पंजरो ना जाईं।।
अइसन बनाईं मन जे सब लोग ओमे सटे।
मरला का बाद भी लोग नाम राउर रटे।।
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