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देव दानव किन्नर, और सारा जहां,

देव दानव किन्नर, और सारा जहां,

कर रहा गुणगान जिसका, है कहाँ?
सृष्टि के कण कण में है, सब बताते,
दिखता नहीं महसूस करते, सब यहाँ।
भोर की किरणों में, वह विद्यमान है,
सूर्य की रश्मियाँ, उसका गुणगान है।
तम घना चहूँ ओर, गगन में निहारिये,
चाँद तारों चाँदनी से, उसकी पहचान है।
दानवों के बीच कुछ मानव यहाँ,
मानवता का कर रहे बखान हैं।
खुद कष्ट सहकर, परहित खड़े,
गौर से देखो, समझो भगवान है। 
अ कीर्ति वर्द्धन
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