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अदहन

अदहन

जय प्रकाश कुवंर
रघु काका जबले जीयत रहनी तबले उहाँ का घर के बागडोर उहाँ का ही हाथ में रहे। रघु काका का मरला के बाद रघु काका के घर के बागडोर उहाँ के मेहरारू राधिका काकी का हाथ में आ ग‌इल। राधिका गाँव के पुरनिया औरत रहली जवना वजह से गाँव भर के लोग उहाँ के राधिका काकी कह के ही पुकारत रहे। राधिका काकी पढ़ल लिखल त ना रहली बाकिर खुब खुशमिजाज आउर समझदार औरत रहली तथा घर चलावे में आउर गाँव के समस्या समझे में उ खुब माहिर रहली। रघु काका आउर राधिका काकी के एक मात्र संतान रामदीन रहलन, जे मैट्रिक पास क‌इला का बाद शहर में जाके नौकरी करे लगलन। गाँव देहात में ओघरी अभी गैस चुल्हा और प्रेशर कुकर ना पहुँचल रहल। एह वजह से खाना बनावे के काम फुलहा आउर अलमुनियम का बटुली में माटी का चुल्हा पर लकड़ी जला के ही होत रहे। दाल जल्दी आउर बढ़ियां से गलावे खातिर सब पानी से काम ना चले। एह खातिर गाँव के कवनो एगो खास कुंआ या इनार रहत रहे जवना के पानी अदहन खातिर गाँव भर के लोग ले जात रहे। रामदीन जबले गाँव में रहले तबले अदहन के पानी उहे ले आवत रहले। बाकिर उनका शहर में ग‌इला का बाद इ काम खुद राधिका काकी का करे के पड़े। खैर, घर में आउर केहू ना रहे का वजह से अइसहीं काम चलत रहे।
एने शहर में रामदीन के उनका आफिस के ही एगो सारिका नाम के लड़की से प्यार हो ग‌इल। कुछ दिन प्यार में रहला का बाद रामदीन ओही लड़की से अपना माई के बिना बतवले ही शादी कर लिहलन। सारिका बी ए पास एगो माडर्न लड़की रहली। उ जनम से ही शहर में पलल बढ़ल रहली। उ कवनो दिन गाँव देहात ना देखले रहली। गाँव में लोग क‌इसे रहेला एकर उनका कौनो ग्यान ना रहे। शहर में सारिका का साथ में रहके रामदीन भी पुरा शहरी हो ग‌इले। अब शहर में ओह लोग के गृहस्थी शहर का तौर तरीका से खुब बढ़ियां से चले लागल। शहर में गृहस्थी चलावे खातिर गाँव नीयर असुविधा ना रहे। उहाँ घर में नल के पानी, गैस के चुल्हा आउर खाना बनावे खातिर बटुली का जगह प्रेशर कुकर ज‌इसन आधुनिक सुख सुविधा सब हाज़िर रहे। रामदीन भी एह सब सुविधा के आगे गाँव के माटी के चुल्हा आउर बटुली के खाना भुला ग‌इले। उ इहो भुला बैठले जे उनकर माई गाँव में क‌इसे रहत हो‌इहें।
साल भर शादी के बितला के बाद रामदीन के आपन माई याद अइली। उ अपना मेहरारू सारिका के साथ लेके आफिस से दुनो आदमी कुछ दिन के छुट्टी लेके अपना गाँव अपना माई किहां कुछ दिन खातिर आइल बाड़े। इहाँ रामदीन के महतारी राधिका काकी अपना बेटा बहू के खुब खातिर करत बाड़ी। बहू सारिका भी अपना सासू माँ के खुब खातिरदारी करत बाड़ी। राधिका काकी अबहियों अपना ओही पुरनका माटी के चुल्हा पर ही खाना बनावेली। एक पेट खातिर खाना बनावे में कवनो दिक्कत ना होला। लेकिन दाल बनावे खातिर अदहन के पानी अबहियों ओही पुरनका गाँव का इनार से ही लावे के पड़ेला। बेटा बहू का अइला पर खाना बनावे के काम खुद राधिका काकी ही करत बाड़ी। बहू के माटी के चुल्हा तर न‌इखीं आवे देत।
शहर में पलल सारिका माटी का चुल्हा पर खाना बनावल त दूर, उ कवनो दिन माटी के अइसन चुल्हा देखलहु ना रहली ह। गाँव में पानी कुंआ इनार से भरल जाला आउर अदहन के पानी गाँव के एगो खास इनार से आवेला, इ बात उनका समझ से परे बा। जब उनकर पति रामदीन बाल्टी ले के घर से दूर ओह इनार से पानी लावे जात बाड़े तब सारिका आश्चर्य में पड़ जात बाड़ी। सारिका जब रामदीन से पुछत बाड़ी की घर का इनार से पानी काहे न‌इखीं निकाल लेत। रामदीन बोलले जे दाल बनावे खातिर अदहन के पानी ओही इनार से आवेला। तब राधिका काकी उनका से बोलत बाड़ी जे रामदीन के पानी ले आवे द आउर हम एकर कारण तोहरा के बतावत बानी।
राधिका काकी अपना बहू से बोलली जे खाना बनावे खातिर जवन पानी बटुली में दिहल जाला ओकरा के गाँव देहात में अदहन कहल जाला। चुल्हा पर भात बनावे खातिर बटुली में ठंडा पानी जरूरत के हिसाब से भरल जाला।उहे भात के अदहन कहाला। चुल्हा में नीचे से लकड़ी के आंच लगावला पर पानी गरम होला। तब चाउर धोके डालल जाला।
जब अदहन खुब खदके लागेला तब कलछुल से दू-चार गो भात के दाना निकाल के चुटकी पर मसल के जांच लेहल जाला ओकरा बाद तैयार भात चुल्हा से उतार के मांड़ पसवल जाला। भात बनावे खातिर कौनो इनार के पानी के अदहन चलेला कारण भात के बेशी गलावे के जरूरत ना पड़े। बाकिर दाल बटुली में जल्दी ना गले पावेला। एह वजह से ओह दुसरा इनार के पानी दाल का अदहन खातिर लावे के पड़ेला। ओह इनार का पानी से दाल जल्दी गल जाला। भात नियर दाल भी बटुली में ओह इनार का पानी के अदहन से बनेला। बटुली में अदहन के पानी चढ़ा के ओह में दाल धोके डाल दिहल जाला। साथ में जरूरत के हिसाब से नमक आउर हल्दी भी बटुली में डाल दिहल जाला। चुल्हा में नीचे से लकड़ी चाहे च‌इली के आंच लगावला पर दाल खदके लागेला। एह अदहन का पानी से दाल जल्दी ही गल जाला आउर ओकरा के कलछुल से निकाल के जांच के बटुली चुल्हा पर से उतार लेहल जाला। एह तरीका से गाँव देहात में हमनी रोज खाये खातिर भात दाल बनाइले आउर खाइले।
सारिका जब तक गाँव में अपना पति आउर सासु माँ के साथ रहली तब तक रोज दाल बनावे खातिर दुसरा इनार से अदहन के पानी ले आइल देख के उनका अच्छा ना लागल आउर बड़ा दुख भ‌इल। उ अपना सासु माँ खातिर शहर जैसा ही गैस के चुल्हा, प्रेशर कुकर, कुछ स्टील के बरतन टोपिया आदि शहर से मंगवा लिहली आउर ओकर व्यवहार करे के तरीका अपना सासु माँ के सिखा दिहली। आउर दू चार दिन गाँव में रह के छुट्टी पुरा भ‌इला पर सारिका आउर रामदीन दुनो आदमी अपना नौकरी पर शहर चल ग‌इल लोग।
अब गाँव में रह के भी राधिका काकी शहर ज‌इसन खाना बनावे खातिर सुख सुविधा के आनंद उठावत बाड़ी। उनकर देखा देखी गाँव के आउर परिवार के औरत लोग भी इ सब साधन मंगावत बा आउर खाना बनावे खातिर दुसरा इनार से अदहन के पानी लावे से छुटकारा पावत बा तथा चुल्हा का धुआं धक्कड़ से भी औरत लोग के छुटकारा मिलत बा।
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