इन्द्रप्रस्थ नगरी में ‘सनातन राष्ट्र’ की सिंहगर्जना

- भारत मण्डपम् में गूंजा शंखनाद, हिन्दू राष्ट्र स्थापना का लिया गया वज्रसंकल्प

शौर्य का जागरण और चेतना का संचार
महोत्सव के दौरान वक्ताओं ने इस बात पर गहन चिंता व्यक्त की कि आज का हिन्दू समाज केवल पर्व-उत्सवों तक सीमित होता जा रहा है, जबकि समय की मांग संगठित होकर राष्ट्ररक्षा के लिए खड़े होने की है। विश्व हिन्दू परिषद से जुड़े स्वामी विज्ञानानंद जी ने अपने ओजस्वी उद्बोधन में कहा कि केवल होली-दीवाली मनाने से राष्ट्र सुरक्षित नहीं रहेगा, बल्कि भारत को ‘प्रजासत्ताक हिन्दू राष्ट्र’ बनाने का स्पष्ट लक्ष्य लेकर आगे बढ़ना होगा।
‘वन्दे मातरम्’ से शिवकालीन शौर्य तक
राष्ट्रमंत्र ‘वन्दे मातरम्’ के 150वें वर्ष के उपलक्ष्य में लगाई गई विशेष प्रदर्शनी ने नई पीढ़ी को स्वतंत्रता संग्राम के क्रांतिकारियों के त्याग और बलिदान का स्मरण कराया। वहीं अफजलखान वध का सजीव मंचन और शिवकालीन युद्धनीति के प्रात्यक्षिक ने दर्शकों में अपार उत्साह और आत्मविश्वास का संचार किया। यह केवल नाट्य प्रदर्शन नहीं था, बल्कि संकट के समय शत्रु को सटीक उत्तर देने की मानसिक तैयारी का संदेश भी था।

‘हर घर में शिवाजी’ का संकल्प
दिल्ली सरकार के मंत्री कपिल मिश्रा ने अपने संबोधन में कहा कि आज आवश्यकता है कि प्रत्येक हिन्दू स्वयं में छत्रपति शिवाजी महाराज का तेज विकसित करे। उन्होंने कहा कि जिहादी आतंकवाद कितनी भी साजिशें रचे, उनका उत्तर देने के लिए अब घर-घर में शिवाजी तैयार होंगे। इसी क्रम में उन्होंने दिल्ली में स्थायी शिवकालीन शस्त्र संग्रहालय स्थापित करने का आश्वासन भी दिया, जिससे युवा पीढ़ी शौर्य और इतिहास से प्रेरणा ले सके।
आन्तरिक शत्रुओं की गंभीर चुनौती
महोत्सव में कर्नल आर.एस.एन. सिंह (सेवानिवृत्त) ने ‘देश के भीतर पाकिस्तान’ विषय पर गंभीर व्याख्यान दिया। उन्होंने आगाह किया कि सीमा पार के शत्रुओं से अधिक घातक देश के भीतर सक्रिय वैचारिक और मानसिक शत्रु हैं, जिन्हें पहचानना और समय रहते सशक्त उत्तर देना अनिवार्य है। उन्होंने कहा कि राष्ट्ररक्षा केवल हथियारों से नहीं, बल्कि वैचारिक दृढ़ता से भी होती है।
भक्ति, साधना और शक्ति का समन्वय
हिन्दू जनजागृति समिति के सद्गुरु नीलेश सिंगबाळ जी ने कहा कि केवल भौतिक शक्ति पर्याप्त नहीं है। भगवान के वचन ‘न मे भक्तः प्रणश्यति’ को सार्थक करने के लिए प्रत्येक हिन्दू को साधना और भक्ति के मार्ग पर भी अग्रसर होना होगा। आध्यात्मिक बल के बिना किसी भी भीषण आपदा से विजय संभव नहीं है।
आदर्श रामराज्य की ओर भारत
महोत्सव को संबोधित करते हुए केंद्रीय मंत्री गजेन्द्रसिंह शेखावत ने कहा कि अयोध्या में प्रभु श्रीराम की पुनर्स्थापना के बाद भारत का सांस्कृतिक पुनरुत्थान तीव्र गति से आगे बढ़ रहा है। आज विश्व शाश्वत शांति के लिए सनातन धर्म की ओर आशा से देख रहा है। उन्होंने स्पष्ट चेतावनी दी कि सनातन संस्कृति के इस प्रवाह को बाधित करने वाली अधर्मी शक्तियों को अब सहन नहीं किया जाएगा।
‘पाञ्चजन्य’ शंखनाद का प्रतीकात्मक संदेश
वक्ताओं ने महाभारत के प्रसंग का स्मरण कराते हुए कहा कि जैसे कुरुक्षेत्र में योगेश्वर श्रीकृष्ण ने अधर्म के नाश हेतु ‘पाञ्चजन्य’ शंखनाद किया था, उसी प्रकार दिल्ली में आयोजित यह महोत्सव हिन्दू राष्ट्र स्थापना की दिशा में एक निर्णायक शंखनाद है।
हिन्दुत्व की हुंकार और भविष्य का संदेश
इस महोत्सव की सबसे बड़ी उपलब्धि ‘हिन्दुत्व की हुंकार’ रही। देशभर के सौ से अधिक मीडिया माध्यमों द्वारा इसका व्यापक प्रसारण इस बात का प्रमाण है कि हिन्दू समाज अब संगठित होकर अपनी सांस्कृतिक और राष्ट्रीय अस्मिता के लिए मुखर हो रहा है। यह आयोजन केवल धर्माभिमानी हिन्दुओं तक सीमित नहीं रहा, बल्कि विद्यार्थियों, युवाओं और सामान्य नागरिकों को भी स्वधर्मरक्षा एवं राष्ट्रभक्ति की स्पष्ट दिशा देने वाला सिद्ध हुआ।अंततः यह महोत्सव यह संदेश देने में सफल रहा कि भारत आदर्श रामराज्य की ओर अग्रसर है और आने वाला समय सनातन संस्कृति का है। अब आवश्यकता है कि प्रत्येक हिन्दू केवल दर्शक न बने, बल्कि धर्माचरणी और राष्ट्ररक्षक बनकर इस ऐतिहासिक परिवर्तन का सहभागी बने। यही ‘सनातन युग’ की भोर है, जिसका सूर्योदय संगठित, जागरूक और कर्तव्यनिष्ठ हिन्दू समाज से ही संभव है।
हमारे खबरों को शेयर करना न भूलें| हमारे यूटूब चैनल से अवश्य जुड़ें https://www.youtube.com/divyarashminews #Divya Rashmi News, #दिव्य रश्मि न्यूज़ https://www.facebook.com/divyarashmimag

0 टिप्पणियाँ
दिव्य रश्मि की खबरों को प्राप्त करने के लिए हमारे खबरों को लाइक ओर पोर्टल को सब्सक्राइब करना ना भूले| दिव्य रश्मि समाचार यूट्यूब पर हमारे चैनल Divya Rashmi News को लाईक करें |
खबरों के लिए एवं जुड़ने के लिए सम्पर्क करें contact@divyarashmi.com