'भोजपुरी साहित्य में बिहारी खुशबू' - संजय मयूख प्रमुख सचेतक ,बिविप

अमनौर (सारण), बिहार। । बिहार के सारण जिले के अमनौर में 28, 29 और 30 नवंबर को आयोजित तीन दिवसीय अखिल भारतीय भोजपुरी साहित्य सम्मेलन का 28वां राष्ट्रीय अधिवेशन सफलतापूर्वक संपन्न हो गया। इस अधिवेशन ने भोजपुरी भाषा, साहित्य और संस्कृति को समृद्ध करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम बढ़ाया, जिसमें देश भर के साहित्यकार, कलाकार और राजनेता शामिल हुए। सम्मेलन का उद्घाटन बिहार के दोनों उपमुख्यमंत्री, सम्राट चौधरी और विजय कुमार सिंह द्वारा किया गया, जिसने इस आयोजन की महत्ता को और बढ़ा दिया। इस अवसर पर बिहार सरकार के कई कैबिनेट मंत्रियों की गरिमामयी उपस्थिति रही, जिनमें संजय सिंह टाइगर (श्रम संसाधन विभाग), अरुण शंकर प्रसाद (कला, संस्कृति एवं युवा विभाग), और नितिन नवीन (पथ निर्माण एवं नगर विकास) शामिल थे। राजनीतिक हस्तियों में, सांसद मनोज तिवारी, राजीव प्रताप रूड़ी, और जनार्दन प्रसाद सिग्रीवाल ने भी अपनी भागीदारी सुनिश्चित की। कलाकारों में प्रसिद्ध लोक गायिका कल्पना की उपस्थिति ने आयोजन में चार चांद लगा दिए। तीन दिवसीय इस राष्ट्रीय अधिवेशन का मुख्य फोकस भोजपुरी साहित्य के विकास पर रहा। साहित्यकारों ने संगोष्ठियों में भाग लिया और भोजपुरी भाषा को संविधान की आठवीं अनुसूची में शामिल करने तथा इसके शैक्षणिक और साहित्यिक स्तर को ऊपर उठाने पर गहन परिचर्चा की। यह सर्वसम्मति से स्वीकार किया गया कि भोजपुरी साहित्य में 'बिहारी खुशबू' और भारतीय जीवन की वास्तविक संस्कृति समाहित है।
बिहार विधान परिषद के राष्ट्रीय सह मीडिया प्रमुख, प्रवक्ता एवं सचेतक (भाजपा) डॉ. संजय प्रकाश मयूख ने इस आयोजन में सक्रिय भूमिका निभाई। उन्होंने स्मारिका और पुस्तकों का लोकार्पण किया और साहित्यकारों को सम्मानित भी किया। अधिवेशन का एक महत्वपूर्ण हिस्सा सम्मान समारोह रहा, जिसमें भोजपुरी साहित्य और कला के क्षेत्र में उत्कृष्ट योगदान देने वाली विभूतियों को सम्मानित किया गया। डॉ. उषाकिरण श्रीवास्तव (स्वर्णिम कला केंद्र की अध्यक्षा, लेखिका एवं लोक कवियित्री) को उनके साहित्यिक और कलात्मक योगदान के लिए विशेष रूप से सम्मानित किया गया। उन्हें अंग वस्त्र और स्मृति चिह्न भेंट कर उनका अभिनंदन किया गया।
इंडिया रंग महल, पटना के कलाकारों तथा अन्य स्थानीय कलाकारों को भी उनके कला प्रदर्शन के लिए सम्मानित किया गया, जिसने सांस्कृतिक विरासत को जीवंत बनाए रखा है। बिहार विधान सभा के मुख्य सचेतक (, भाजपा ) , डॉ. संजय प्रकाश मयूख, ने अपने संबोधन में लोक कला और लोक साहित्य के महत्व पर प्रकाश डाला। उन्होंने कहा, "लोक कला में भारतीय सांस्कृतिक विरासत निहित है। भोजपुरी साहित्य में बिहारी खुशबू समाहित है, जो हमारी पहचान है। लोक कला एवं लोक साहित्य ही भारतीय जीवन की वास्तविक संस्कृति को दर्शाते हैं।" यह अधिवेशन इस बात का प्रमाण है कि भोजपुरी साहित्य केवल एक क्षेत्रीय भाषा का साहित्य नहीं है, बल्कि भारतीय संस्कृति और लोक जीवन का एक मजबूत स्तंभ है, जिसका संरक्षण और संवर्धन अत्यंत आवश्यक है।
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