भव्य रूप में सपन्न होगा साहित्य सम्मेलन का ४४ वाँ महाधिवेशन

- राज्यपाल करेंगे उद्घाटन, राज्यसभा के उप सभापति देंगे समापन वक्तव्य
- सम्मेलन की कार्यसमिति और स्वागत समिति की संयुक्त बैठक में की गयी तैयारियों की समीक्षा
पटना, ४ दिसम्बर। आगामी २०-२१ दिसम्बर, २०२५ को आहूत बिहार हिन्दी साहित्य सम्मेलन के ४४ वें महाधिवेशन की तैयारियाँ अपने चरम पर है। सिख-पंथ के नवम गुरु और बलिदानी संत गुरु तेगबहादुर सिंह के बलिदान के ३५०वें वर्ष को समर्पित यह महाधिवेशन भव्य रूप में संपन्न हो, इसलिए सम्मेलन अध्यक्ष डा अनिल सुलभ तथा स्वागत-समिति के अध्यक्ष डा राजवर्धन आज़ाद के नेतृत्व में सम्मेलन की विभिन्न समितियाँ अपनी पूरी शक्ति लगा रही है। बुधवार की संध्या सम्मेलन की कार्यसमिति तथा नवगठित स्वागत समिति की संयुक्त बैठक संपन्न हुई, जिसमें तैयारियों की समीक्षा की गयी।
स्वागताध्यक्ष डा राजवर्धन आज़ाद ने बताया कि बिहार के माननीय राज्यपाल से उनकी वार्ता हो गयी है और उन्होंने महाधिवेशन के उद्घाटन के लिए अपनी विनम्र स्वीकृति प्रदान कर दी है। हिन्दी के इस महायज्ञ में देश भर से अनेक विद्वानों और विदुषियों की भागीदारी हो रही है। आशा करता हूँ कि अनेक दिशाओं से हमें सहयोग प्राप्त होंगे।
सम्मेलन अध्यक्ष डा अनिल सुलभ ने बताया कि समापन-सत्र को देश के मूर्द्धन्य पत्रकार और राज्यसभा के उप सभापति श्री हरिवंश संबोधित करेंगे तथा नामित अलंकरणों से विभूषित किए जाने वाले विद्वानों और विदुषियों को सम्मानित भी करेंगे। वैचारिक-सत्रों के विषय निश्चित कर लिए गए हैं। इस महाधिवेशन में, 'गुरु तेग बहादुर सिंह का सांस्कृतिक अवदान', 'भारत के हिन्दीतर साहित्य और संस्कृति के संवर्धन की माध्यम हिन्दी', 'राष्ट्रभाषा-आंदोलन की विधिक-व्यवस्था', 'हिन्दी-कथा-साहित्य में बिहार का योगदान', 'आधुनिकता और नयी कविता' तथा 'हिन्दी में विज्ञान साहित्य' विमर्श के विषय होंगे। इन विषयों पर देश के अनेक विद्वानों और विदुषियों द्वारा मार्ग-दर्शन किया जाएगा और पत्र पढ़े जाएँगे। इनमें विश्रुत विद्वान और राष्ट्रभाषा प्रचार समिति, वर्धा के अध्यक्ष प्रो सूर्य प्रसाद दीक्षित, केंद्रीय हिन्दी संस्थान, आगरा के निदेशक डा सुनील बाबू राव कुलकर्णी, साहित्य सम्मेलन प्रयाग के प्रधानमंत्री कुंतल मिश्र, चेन्नई की विदुषी डा राज लक्ष्मी कृष्णन, बंगलोर की विदुषी डा लता चौहान, कोलकाता के विद्वान डा रावेल पुष्प आदि के नाम सम्मिलित हैं। बिहार के बाहर से आ रहे पचास से अधिक विद्वानों और विदुषियों समेत, इस साहित्य-महाकुंभ में पटना पहुँच रहे प्रातिनिधियों के आवास आदि की व्यवस्था सुनिश्चित कर ली गयी है। सम्मानित होने वाले हिन्दी-सेवियों की सूची तैयार हो रही है। अलंकरण और अतिथि-सम्मान हेतु वंदन-वस्त्र हैदराबाद से मंगाए गए हैं। महाधिवेशन की प्रथम संध्या को एक भव्य सांस्कृतिक-कार्यक्रम तथा दूसरे दिन एक विराट-कवि-सम्मेलन भी आयोजित है।
बैठक में, समेलन के उपाध्यक्ष डा उपेंद्रनाथ पाण्डेय, डा शंकर प्रसाद, डा मधु वर्मा, पद्मश्री विमल कुमार जैन, डा मेहता नगेंद्र सिंह, डा किरण सिंह, डा सुधा सिन्हा, डा पुष्पा जमुआर, कुमार अनुपम, ईं अशोक कुमार, डा शालिनी पाण्डेय, सिद्धेश्वर, डा रमेश पाठक, आचार्य विजय गुंजन, आराधना प्रसाद, डा अर्चना त्रिपाठी, सागरिका राय, प्रो सुनील कुमार उपाध्याय, डा पंकज कुमार 'बसंत', डा सीमा रानी, ज्ञानेश्वर शर्मा,अनिता मिश्रा सिद्धि, डा मीना कुमारी परिहार, डा ऋचा वर्मा, डा सीमा यादव, डा प्रियंवदा मिश्र, डा नागेन्द्र शर्मा, इंदु भूषण सहाय, मीरा श्रीवास्तव, डा विद्या चौधरी, मीरा प्रकाश, डा रेणु मिश्र, बिन्देश्वर गुप्ता नीरव समदर्शी, डा सुषमा कुमारी, ज्योति मिश्र, लता प्रासर, रौली कुमारी, संजीव मिश्र, प्रवीर कुमार पंकज, नीता सहाय, डा पुरुषोत्तम कुमार, डा नीतू सिंह, नमिता लोहानी, चंदा मिश्र, सूर्य प्रकाश उपाध्याय,श्री प्रकाश ओझा, अमित कुमार सिंह आदि सदस्य उपस्थित थे।
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