"वाणी में व्यक्तित्व का आलोक"
पंकज शर्मा
मनुष्य की वाणी केवल शब्दों का संयोजन नहीं, बल्कि उसके व्यक्तित्व का सूक्ष्म प्रकाश भी है। जब भीतर की चेतना निर्मल होती है, तब भाषा में माधुर्य स्वयमेव प्रवाहित होता है। आचरण की शालीनता एवं चिंतन की ऊर्ध्व दिशा मिलकर उस आभा को जन्म देती हैं, जो व्यक्ति को केवल सुना ही नहीं, बल्कि अनुभव किया जाने योग्य बनाती है। यही कारण है कि वाणी का प्रत्येक उच्चारण आत्मिक परिष्कार का दर्पण बन जाता है।
जब अंतरभावों की शुद्ध अनुभूति वाणी में प्रतिध्वनित होती है, तब बोलने वाला एवं सुनने वाला—दोनों ही एक ऊँचे आध्यात्मिक संगम में प्रवेश करते हैं। ऐसी वाणी प्रेरणा देती है, मन को स्पंदित करती है एवं जीवन में शांत प्रकाश भरती है।
. "सनातन"
(एक सोच , प्रेरणा और संस्कार)
पंकज शर्मा (कमल सनातनी)
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