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क्रिसमस नहीं मनाएंगे

क्रिसमस नहीं मनाएंगे

– ऋचा श्रावणी

हम हिन्दू हैं, वृक्ष हमारे लिए पूजनीय,
तुलसी मां हमारे घरों की शान है, 
जीवन की अमूल्य धरोहर।
तुलसी मां की जयंती मनाएंगे, विवाह रचाएंगे,
उनके चरणों में अपने हृदय को समर्पित करेंगे,
लेकिन क्रिसमस नहीं मनाएंगे।

घर-घर में तुलसी मां को पहुँचाएंगे,
उनकी महिमा, उनके गुण बच्चों को बताएँगे।
सृष्टि की रक्षा के लिए उनकी शिक्षाओं को जीवन में उतारेंगे,
धरती को हरियाली और जीवन को सौंदर्य से भरेंगे,
लेकिन क्रिसमस नहीं मनाएंगे।

हमारे पूर्वजों ने अपने धर्म, संस्कृति और परंपरा की रक्षा की,
उनकी चेतना हमारे रक्त में प्रवाहित है।
हम उनके आदर्शों को जीवन में उतारेंगे,
त्योहारों में उनके संदेश को संजोएंगे,
लेकिन क्रिसमस नहीं मनाएंगे।

पंडित मदन मोहन मालवीय की शिक्षाओं को याद करेंगे,
बनारस हिन्दू विश्वविद्यालय का वरदान और उनका संघर्ष सुनाएंगे।
उनकी दूरदृष्टि और आदर्शों को आत्मसात करेंगे,
समाज के हर व्यक्ति में उजाला फैलाएँगे,
लेकिन क्रिसमस नहीं मनाएंगे।

हमारे प्रिय श्री अटल बिहारी वाजपेयी की कविताओं को सुनाएँगे,
उनकी दूरदृष्टि, उनके विचारों को जन-जन तक पहुँचाएँगे।
विपक्ष की चुनौती में उनकी हाजिर-जवाबी का सम्मान करेंगे,
उनके आदर्शों को जीवन में उतारेंगे,
लेकिन क्रिसमस नहीं मनाएंगे।

हम हर धर्म का सम्मान करते हैं,
हर धर्मग्रंथ के आगे नतमस्तक हैं।
लेकिन यदि कोई हमारी श्रद्धा पर दृष्टि डाले,
यदि कोई हमारे मंदिरों को अपमानित करे,
तो हम चुप नहीं बैठेंगे।
जहाँ हमारे मंदिरों को छुआ जाएगा,
हम वहाँ धर्म की रक्षा करेंगे,
तुम्हारे धर्मस्थलों को जलाने से रोकेंगे,
लेकिन क्रिसमस नहीं मनाएंगे।

हमारा त्योहार हमारे रीति-रिवाजों में है,
हमारा धर्म हमारी पहचान में है,
हमारी संस्कृति हमारी चेतना में है।
हम अपने पूर्वजों के आदर्शों का पालन करेंगे,
हम अपनी परंपरा की रक्षा करेंगे,
हम अपने संस्कारों को संजोएंगे,
और इसलिए—
क्रिसमस नहीं मनाएंगे।

हमारी आँखों में अपने देवी-देवताओं का प्रकाश है,
हमारी धरती माता के चरणों में हमारा विश्वास है।
हम रक्षा करेंगे अपने पर्वों की पावनता,
हम संजोएंगे अपनी संस्कृति की शाश्वत धरोहर।

गणेश चतुर्थी का उल्लास मनाएँगे,
दीपावली की रौशनी से अँधेरा मिटाएँगे।
होली के रंगों में प्रेम का संदेश फैलाएँगे,
रक्षाबंधन में भाई-बहन के संबंध को सुदृढ़ बनाएँगे।
हमारे त्योहार हमारी चेतना को जगाते हैं,
हमारे संस्कार हमारी शक्ति हैं,
और इसलिए—
क्रिसमस नहीं मनाएंगे।

हमारी शिक्षा, हमारी परंपरा, हमारी आस्था
हमें सही और गलत का मार्ग दिखाती है।
हम केवल भारतीय संस्कृति का उत्सव मनाएँगे,
हम अपनी धरोहर का सम्मान करेंगे।
हम अपने बच्चों को बताएँगे
की सच्ची शक्ति अपने धर्म और संस्कार में है,
और इसलिए—
क्रिसमस नहीं मनाएंगे।

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