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श्रेयशी सिंह सिंह से जागी नई आशा और विश्वास खिलाड़ियों, कला संस्कृति कर्मियों में दिखेगी Sportsman spirit श्रेयशी के नेतृत्व में - हृदय नारायण झा

श्रेयशी सिंह सिंह से जागी नई आशा और विश्वास  खिलाड़ियों, कला संस्कृति कर्मियों में दिखेगी Sportsman spirit श्रेयशी के नेतृत्व में - हृदय नारायण झा

खेल एवं कला कला संस्कृति विभाग का उत्तरदायित्व नई मंत्रिमंडल में उन्नत एवं उत्तम चरित्र को धारण करने वाली, खेल में राष्ट्रीय चैम्पियन सुश्री श्रेयषी सिंह को मिला है l
पहलीबार खेल एवं कला संस्कृति विभाग किसी सफल खिलाड़ी को मिला है l

इसलिए नई आशा और विश्वास जागी है खिलाड़ियों और कला संस्कृति के संवाहको में l


माननीयाँ मंत्री महोदया को ऐसा विभाग मिला है जिसके जिम्मे है एक ऐसा विभाग जिसके पदाधिकारियों और कर्मियो में बिहार की समृद्धतम साँस्कृतिक चेतना चेतना का सर्वथा अभाव है l


परिणामत: विशेषत: कला संस्कृति के संवाहक कलाकार, कला साधक, कलागुरु के सभी अधिकार छीन ली गयी है l
बिहार ललित कला अकादमी और बिहार संगीत नाटक अकादमी जैसी संस्था से कलाकार बेदख़ल हैं l विभागीय पदाधिकारी के प्रभार मे कार्य उद्देश्य से भटकी हुई है ये दोनों अकादमियाँ l


सबसे दुर्भाग्यपूर्ण दौर से गुजर रही है बिहार की राजधानी पटना में स्थित भारतीय नृत्य कला मन्दिर जो j भारत का एकमात्र ऐसे शास्त्रीय नृत्य संस्थान का गौरव रहा है, जहॉं भारत के सभी शास्त्रीय नृत्य की शिक्षा प्रशिक्षण सुविधा उपलब्ध थी l जिसका अपना पाठ्यक्रम और प्रशिक्षण आदि की शैली देश भर के अन्य पद्धति और शैली से भिन्न थी, आज सरकार के नियंत्रण में संचालित होने से न सिर्फ पद्धति, शैली, शिक्षण प्रशिक्षण तकनीक खो चुकी है, बल्कि हद ये है कि यह सरकारी संस्था प्राइवेट संस्था (प्रयाग संगीत समिति प्रयागराज) के पाठ्यक्रम अपनाकर उसी के अधीन परीक्षा और प्रमाण पत्र अपने सरकारी संस्था के होनहार कलाकारों को दिलाने के लिए विवश है l
.न तो यहाँ के विषय विशेषज्ञ कला गुरूओं को सम्मानजनक वेतन दिया जाता है न इन्हें किसी प्रकार का राज्याश्रय ही प्राप्त है l ऐसे में संगीत अनुकूल अवसर, सुख, सुविधा के अभाव में तनाव ग्रस्त मानसिकता से संगीत की नौकरी करने को विवश हैं संगीतगुरु कलाकार l
इस संस्थान को फिर से गौरवशाली संस्था के रूप में अपेक्षित आधुनिक सुविधा सम्पन्न मॉडल नृत्य संस्थान के रूप विकसित करने की आवश्यकता है l जिसमें विशेषज्ञ को पूर्णकालिक निदेशक की नियुक्ति सुनिश्चित हो, विभागीय सचिव का ऐसे संस्थान का पदेन निदेशक होने होने से वर्षो से निदेशक के अभाव में जैसे तैसे संचालित यह गौरवशाली नृत्य संस्थान अंग भंग है l नृत्य संगीत के गुरुओं को सरकार में चतुर्थवर्गीय कर्मियों से भी काफी कम वेतन में नौकरी करने को विवश विवश हैं ल भय ऐसा व्याप्त है कि कोई भी नृत्य संगीत कला गुरु कुछ बोलने से परहेज करते है l
इसके अतिरिक्त भी एक अपेक्षा होगी कि मुख्यमंत्री ने बिहार शताब्दी वर्ष 2012 में बिहार में सांस्कृतिक पुनर्जागरण पर ग्लोबल सम्मिट कराया था किन्तु 13 वर्ष बीतने पर भी विभाग इस दिशा में मौन रही है l इस दिशा में विभागीय मंत्री का स्पोर्ट्समैन स्पिरिट दिखे श्रेयसी के कप्तानी में l
शुभकामना
बिहार के एक योग विशेषज्ञ, मैथिली मैथिली भोजपुरी हिन्दी गीतकार, लोकगीत गायक(आकाशवाणी पटना) धर्म एवं साँस्कृतिक संवाददाता की l
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