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*विवाह पंचमी एवं श्रीराम मंदिर ध्वजारोहण*

विवाह पंचमी एवं श्रीराम मंदिर ध्वजारोहण

✍️ डॉ. रवि शंकर मिश्र "राकेश"

विवाह पंचमी के अवसर पर,
शुभ अलौकिक - उत्साह है,
अयोध्या-नवमंदिर के शिखर पर,
राम ध्वज फहराने की चाह है।


स्वर्णिम कलश के मध्य भगवा,
देव-गगन में लहराए,
मानो खुद श्रीराम पुकारें,
“धर्म पथ कोई न भरमाए।”


पाँच शताब्दियों की पीड़ा,
तप का पावन फल आया,
रामलला अब सिंहासन पर,
राजमहोत्सव संग छाया।


ध्वज कहता, जब धर्म डिगेगा,
भक्तों का विश्वास जगाओ,
अधर्म तमस होगा नष्ट,
तुम बस राम-नाम दोहराओ।


यह केवल मंदिर का उत्सव नहीं,
मन का मंगल-जागरण है,
हर हृदय-धरा पर राम-सिया के,
प्रेम का पावन वरण है।


जिस मन में श्रीराम बसे हों,
वहाँ न दुख, न पाप का डेरा,
भक्ति-ध्वज फहराते रहो तुम,
वही बनेगा रक्षक-घेरा।


आओ मन-शिखर पर आज जलाएँ,
श्रद्धा की एक ज्योति महान,
सीता-राम के आदर्शों से,
भर दें जीवन, कर्म और प्राण।


जब भगवा पवन में नाचेगा,
बनेगा पथ दृढ़, शुभ-परिणाम,
और अंत में ले जाएगा वह,
उस धाम जहाँ विराजें राम।


विवाह पंचमी की शुभ बेला में,
ध्वजारोहण की दिव्य बधाई,
सिया-राम की कृपा सदा हो,
हर पल, हर श्वास में समाई।


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