परिवर्तन योगेश संस्थान की 35 वीं सुदर्शन सभा का दिल्ली में हुआ आयोजन : डॉ राकेश कुमार आर्य सहित 31 प्रतिभाओं को किया गया सम्मानित

नई दिल्ली। यहां स्थित करोल बाग के एक विशेष सभा कक्ष में परिवर्तन योगेश संस्थान की 35 वीं सुदर्शन सभा का आयोजन किया गया। जिसमें समस्त भारतवर्ष की 31 प्रतिभाओं को विद्यासागर और विद्यावाचस्पति उपाधि से सम्मानित किया गया। इन प्रतिभाओं में भारत को समझो अभियान समिति के राष्ट्रीय प्रणेता और सुप्रसिद्ध इतिहासकार डॉ राकेश कुमार आर्य भी सम्मिलित रहे। कार्यक्रम में प्रमुख अतिथियों में डॉ. संभाजी राजाराम बाविस्कर (कुलपति - काशी हिन्दी विद्यापीठ), डॉ योगेश तरेहन (उप कुलपति - काशी हिन्दी विद्यापीठ एवं संस्थापक : परिवर्तन योगेश संस्थान), आचार्य महामंडलेश्वर निरंकारनंद (पीठाधीश्वर : महर्षि सत्य सनातन अखाड़ा), स्वामी कृष्णकांतानंद पुरी (संन्यासी महामंडलेश्वर), स्वामी दयानन्द जी महाराज (महामंडलेश्वर महर्षि सत्य सनातन अखाड़ाऋ, गणेश कुमार स्वामी (ऋषिकेश धर्माचार्य) विराजमान रहे। संभाजी राजाराम बाविस्कर ने अपने संबोधन में कहा कि भारत के सामने खड़ी विभिन्न चुनौतियों के समाधान के लिए इस समय युगांतरकारी परिवर्तन की आवश्यकता है। जिसके लिए काशी हिंदी विद्यापीठ विशेष प्रतिभाओं का चयन कर रही है।

डॉ योगेश तरेहन ने कहा कि भारत के युवाओं के भीतर अनेक प्रकार की संभावनाओं को तलाशने और तराशने का उद्देश्य लेकर उन्होंने परिवर्तन योगेश संस्थान की स्थापना की है, जिससे सनातन धर्म और संस्कृति की रक्षा की जा सके।
आचार्य महामंडलेश्वर निरंकारनंद ने अपने संबोधन में कहा कि सनातन संस्कृति के मानवीय मूल्य ही संसार को सकारात्मक दृष्टिकोण दे सकते हैं। जिसके लिए विद्यासागर और विद्यावाचस्पति से सम्मानित सभी विद्वानों को विशेष कार्य करने की आवश्यकता है।
अतिथि वक्ता के रूप में उपस्थित डॉ राकेश कुमार आर्य ने कहा कि हमें प्रत्येक दिन इतिहास की कोई ना कोई विशेष घटना कुछ ना कुछ बता कर जाती है। उन्होंने कहा कि महाभारत का युद्ध 5 नवंबर को समाप्त हुआ था। 5 नवंबर इस वर्ष हमारे लिए गुरु नानक देव जी की जयंती के रूप में भी आई है। जिन्होंने तत्कालीन अत्याचारी मुगल शासको के विरुद्ध जन आंदोलन के लिए लोगों का आवाहन किया था। इसी दिन 1556 में हमारे महान हिंदू शासक हेमचंद्र विक्रमादित्य का बलिदान हुआ था। जिन्होंने देश, धर्म, संस्कृति की रक्षा के लिए अपना बलिदान दिया था। उनके साथ लाखों हिंदुओं को मार दिया गया था। इन सबका बलिदान हमें अपने देश ,धर्म और अपनी संस्कृति की रक्षा के लिए नए संकल्प से भरता है। आज के परिवेश में हमें अपनी संस्कृति ,धर्म और इतिहास पर शोध करने की आवश्यकता है। तभी इन उपाधियों का सार्थक संकेत समाज में जा सकता है। उपाधियां बोझ मारने के लिए नहीं दी जाती हैं बल्कि मां भारती के ऋण रूपी बोझ को उतारने के लिए दी और ली जाती हैं। उन्होंने परिवर्तन योगेश संस्थान के अध्यक्ष श्री योगेश जी की इस बात के लिए प्रशंसा की कि उन्होंने नई नई आशाओं से भरने के लिए परिवर्तन का वही सुदर्शन चक्र घुमाया है जो कभी श्री कृष्ण जी ने घुमाया था। इस संस्थान के उद्देश्य को समझने की आवश्यकता है।
सभा का मंच संचालन संजय शर्मा (पत्रकार: उत्तर प्रदेश पत्रकार परिषद) ने किया। इस सांस्कृतिक सभा में काशी हिन्दी विद्यापीठ के विद्या वाचस्पति एवं विद्या सागर मानद सम्मान भी दिए गए। गणमान्य अतिथि सुधांशु झा (उपाध्यक्ष: पूर्वांचल मोर्चा, दिल्ली भाजपा), मुन्ना शर्मा (राष्ट्रीय अध्यक्ष : हिन्दू महासभा, सौरभ पांडेय, अमित जैन (संस्थापक : राइजिंग स्टार खिलते चेहरे, हीरा सिंह (राष्ट्रीय अध्यक्ष : केसरी हिन्दू वाहिनी), हर्ष गिरधर (संस्थापक : अलबेली सरकार ग्लोबल वेलफेयर फाउंडेशन), हिमांशु कुलस्ते, मोहम्मद नवाब, मौहम्मद परवेज आलम, संदीप वर्मा एवं वरुणेन्द्र कथूरिया (डायरेक्टर : ए वन न्यूज़ चैनल) भी सभा में उपस्थित रहे।
विद्या सागर कुल 5 विद्वानों को प्रदान किया गया। जिनके नाम हैं: डॉ. धर्म प्रकाश आर्य, डॉ. अनिल कुमार दुबे, डॉ. (प्रो) राम प्रकाश विजयवर्गीय, डॉ. सिद्धविनायक उमेशमहाराज टाकलीकर एवं डॉ. विपन कुमार जी।
विद्या वाचस्पति प्राप्त करने वाले विद्वानों की संख्या 26 रही। जिनके नाम हैं: डॉ अमित शास्त्री कंझरकर, डॉ सुभाष प्रेमी 'सुमन', डॉ अविनाश दीक्षित, डॉ शत्रुघन जेसवानी, डॉ पदम सैन जैन, डॉ यशदेव प्रसाद शर्मा, डॉ कृष्णेंदु चक्रबर्ती, डॉ प्रेमचन्द शर्मा 'स्वतंत्र', डॉ राकेश कुमार आर्य, डॉ लोकेश कुमार, स्वामी कृष्णकांतानंद पुरी (संन्यासी महामंडलेश्वर), डॉ लीना शर्मा, डॉ हरि किशोर लेखवार, डॉ पुरुषोत्तम रामदास कुलकर्णा, डॉ रमेश चन्द्र 'विनोदी', डॉ. ज्ञानेश्वर वासुदेव जोशी कोलंबीकर, आचार्य डॉ लक्ष्मण प्रसाद शास्त्री, डॉ अनिल कुमार चौधरी, डॉ गणेश कुमार, डॉ आलोक श्यामनारायण पाण्डेय, डॉ विक्रम शर्मा, डॉ गणेश कुमार स्वामी, डॉ भावना शर्मा, डॉ आनन्द जिंदल, डॉ अजय अकेला एवं डॉ मिथिलेश कुमार मिश्र ।इस सभा के आयोजन में परिवर्तन योगेश संस्थान के जिन स्वयंसेवकों का सहयोग रहा वह हैं संजय शर्मा, राजेश कुमार सौखिया, डॉ. हरिश्चंद्र मिश्र, डॉ भावना शर्मा, राकेश कुमार, आनन्द जिंदल, डॉ टीकम सिंह एवं मुकेश कुमार सल्होत्रा जी। अगली सुदर्शन सभा 27 दिसंबर 2025 को होने पर सहमति बनी।सभा का प्रारम्भ परिवर्तन परिवार की सदस्या लक्ष्मी जी के पिताजी दिवंगत कीमती लाल जी को श्रद्धांजलि देकर हुआ।
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