Advertisment1

यह एक धर्मिक और राष्ट्रवादी पत्रिका है जो पाठको के आपसी सहयोग के द्वारा प्रकाशित किया जाता है अपना सहयोग हमारे इस खाते में जमा करने का कष्ट करें | आप का छोटा सहयोग भी हमारे लिए लाखों के बराबर होगा |

"किनारों के पेड़"

"किनारों के पेड़"

✍️ डॉ. रवि शंकर मिश्र "राकेश"
नकद के किनारों पर जो पेड़ खड़े हैं,
धारा की मार सहकर भी अड़े हैं।
हर लहर उन्हें जड़ से हिलाती है,
पर उनकी चुप्पी कुछ कह जाती है।


जड़ें तो अब खोखली हो चली हैं,
आशा की लौ भी बुझने लगी है।
पर न जाने कौन-सी वह शक्ति है,
जो अब भी उन्हें थामे रखती है।


शायद वो संबल, वो साथ तुम्हारा,
जो बन गया है उनके लिए सहारा।
तुम्हारे विश्वास की छाया तले,
वो लड़ रहे हैं हर आँधी में भले।


बाढ़ की विभीषिका जब टूटती है,
हर शाख उन झंझाओं से जूझती है।
पर एक दृष्टि, एक हाथ जो बढ़ा,
तो फिर जीवन ने उन्हें थामा।


मत पूछो आशा कैसी बची है,
जहाँ सहारा एक आत्मा-सी सजी है।
तुम जैसे मनुज जब साथ निभाते हैं,
तो खोखले भी वृक्ष झूम जाते हैं।
हमारे खबरों को शेयर करना न भूलें| हमारे यूटूब चैनल से अवश्य जुड़ें https://www.youtube.com/divyarashminews #Divya Rashmi News, #दिव्य रश्मि न्यूज़ https://www.facebook.com/divyarashmimag

एक टिप्पणी भेजें

0 टिप्पणियाँ