"प्रतिक्रिया की शक्ति"
पंकज शर्मा
जीवन का सार हमारी प्रतिक्रिया में निहित है। हमारे साथ जो घटनाएँ घटित होती हैं, वे मात्र दस प्रतिशत हैं; शेष नब्बे प्रतिशत वह आंतरिक शक्ति है जिससे हम उनका सामना करते हैं। संसार एक कर्मक्षेत्र है, और हर चुनौती हमारी आत्मा की परीक्षा है। बाह्य परिस्थितियाँ भले ही क्षणभंगुर हों, किंतु हमारी प्रतिक्रियाएँ हमारे चरित्र का शाश्वत निर्माण करती हैं। यही वह मर्म है जो साधारण जीवन को असाधारण यात्रा में रूपांतरित करता है।
इसलिए, हमें अपने दृष्टिकोण को साधना चाहिए, क्योंकि वही हमारी नियति का सृजन करता है। जब हम अपनी प्रतिक्रियाओं पर संयम और चेतना लाते हैं, तो हम घटनाओं के दास नहीं, अपितु उनके स्वामी बन जाते हैं। यह नब्बे प्रतिशत की शक्ति हमें दुःख को प्रज्ञा में और विपदा को विजय में बदलने का अधिकार देती है। जीवन की गाथा हमारे सुविचारित संकल्पों से लिखी जाती है, और अपनी प्रतिक्रिया को नियंत्रित करना ही वास्तविक स्वतंत्रता है।
. "सनातन"
(एक सोच , प्रेरणा और संस्कार)
पंकज शर्मा (कमल सनातनी)
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