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"​उत्कृष्टता का मार्ग"

"​उत्कृष्टता का मार्ग"

पंकज शर्मा
​मनुष्य की वास्तविक महत्ता उसके भौतिक परिवेश या धन-संपदा में निहित नहीं होती। भव्य भवनों का निर्माण केवल ईंट-पत्थरों का खेल है, जबकि श्रेष्ठता का आधार तो हृदय की पवित्रता और भावनाओं की उदात्तता में छिपा है। जब तक हृदय में करुणा, सत्यनिष्ठा और प्रेम की ज्योति प्रज्ज्वलित नहीं होती, तब तक मनुष्य केवल हाड़-मांस का पुतला मात्र है। हमारी आंतरिक संवेदनाएँ ही हमें पशुता से ऊपर उठाकर मानव बनाती हैं। अतः, हमें अपने अंतर्मन को परिष्कृत करना होगा, क्योंकि यही वह धरातल है जहाँ से वास्तविक श्रेष्ठता का उदय होता है।
​केवल मीठे और शुद्ध शब्दों का उच्चारण ही किसी को महान नहीं बनाता। शब्दों का सौन्दर्य तभी सार्थक होता है जब वे उच्च आचरण की नींव पर टिके हों। श्रेष्ठ आचरण ही मनुष्य की सच्ची कसौटी है। हमारा व्यवहार, हमारे कर्म और जीवन के प्रति हमारी निष्ठा ही हमारा परिचय पत्र बनती है। आज से हम संकल्प लें कि हम केवल बातें नहीं करेंगे, बल्कि अपने आचरण को इतना निर्मल और उत्कृष्ट बनाएंगे कि वह स्वयं दूसरों के लिए एक प्रेरणा स्रोत बन जाए। यही जीवन की सच्ची सार्थकता और मनुष्य होने का वास्तविक गौरव है।


. "सनातन"
(एक सोच , प्रेरणा और संस्कार)
पंकज शर्मा (कमल सनातनी)

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