"बोध की अविरल यात्रा"
पंकज शर्मा
प्रिय मित्रों हमारा जीवन बाहरी काल-प्रवाह पर बहती एक नौका जैसा है, जहाँ हम प्रायः घटना-चक्रों को ही अस्तित्व का प्रमाण मान बैठते हैं। उपरोक्त उद्धरण हमें गहन सत्य की ओर मोड़ता है: जीवन का सच्चा अर्थ बाह्य घटनाक्रमों की सूची में नहीं, बल्कि उन अनुभवों के भीतर छिपी चेतना की जागृति में है। यह संसार केवल माध्यम है—वह मंच, जहाँ हमारी आत्मा अपनी वास्तविक क्षमता पहचानती है। आत्मिक ज्ञान बाहरी रूपरेखाओं से परे, घटनाओं से जन्मे आंतरिक बोध के सूक्ष्म सूत्र को थामने में निहित है।
यह आंतरिक बोध, जो ज्ञान के निरंतर प्रवाह के रूप में प्राप्त होता है, ही प्रकटिकरण का वह अविराम धागा है जो जीवन को उच्चतर अर्थ देता है। प्रत्येक सुखद या दुखद घटना एक गुरु की भांति हमें स्वयं को गहराई से जानने का आमंत्रण देती है। यह प्रवाह एक निरंतर अनुशीलन है—एक शाश्वत यात्रा जहाँ हम अपने कर्मों एवं विचारों के यथार्थ परिणामों को समझते हैं। जब हम इस सतत ज्ञान को स्वीकार करते हैं, तो जीवन का केंद्र बिंदु बाहरी संसार से हटकर हमारे हृदय के अंतर्भाग में स्थापित हो जाता है। इस आध्यात्मिक दृष्टिकोण से, जीवन केवल एक कहानी नहीं, बल्कि आत्म-साक्षात्कार की ओर ले जाने वाली एक जागृत अवस्था बन जाता है।
. "सनातन"
(एक सोच , प्रेरणा और संस्कार)
पंकज शर्मा (कमल सनातनी)
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