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आज चतुर्दशी पर्व सुहावन

आज चतुर्दशी पर्व सुहावन

(सत्येन्द्र कुमार पाठक)
आज चतुर्दशी पर्व सुहावन, दीप पर्व का दूजा आँगन।
छोटी दीवाली नाम है इसका, हर मन में हो हर्ष प्रेम का॥
जय नरकासुर मर्दनकारी, अंधकार पर जीत तुम्हारी।
पुण्य बढ़ाओ, पाप मिटाओ, सद्गति का तुम मार्ग दिखाओ॥
कार्तिक कृष्ण पक्ष की तिथि ये, नरक चौदस सुख-शांति दे ये।
रूप चतुर्दशी नाम भी प्यारा, पावन 'अभ्यंग स्नान' है न्यारा॥
तेल-उबटन से तन चमकाओ, रोग-शोक सब दूर भगाओ॥
. नरकासुर था क्रूर अहंकारी, बंदी थीं कन्याएँ हज़ारी।
सोलह सहस्र एक सौ नारी, कृष्ण ने कीं संकट से जारी॥
सत्यभामा संग वध जब कीन्हा, हर घर दीप जलाकर दीन्हा॥
राजा रन्तिदेव की गाथा, पाप मिटाने झुकाया माथा।
ऋषि ने कहा करो तुम व्रत ये, यम से मुक्ति मिलेगी तब ये॥
व्रत से नरक का भय मिट जाता, विष्णु लोक में प्राणी जाता॥
संध्या समय 'यम दीप' जलाओ, अकाल मृत्यु भय दूर भगाओ।
घर का कूड़ा-कचरा त्यागो, नकारात्मकता से जागो॥
स्वच्छता और प्रकाश का संगम, मन का मैल हो जाए ख़तम॥
बुराई पर अच्छाई का जय, फैले ज्ञान न रहे जग में भय।
दीपों से जब घर जगमग होवे, मन का अंधकार भी खोवे॥
यह त्यौहार महान है, भाई, आस्था, धर्म की देता गवाही॥



- कीर्ति आपकी - शुभ हो दीपावली
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