गऊ माता की महिमा अपरंपार
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हिय वसित संपूर्ण देवलोक,
समुद्र मंथन अनमोल रत्न ।
पुलकित प्रफुल्लित जीवन,
कर तत्पर परिचर्या प्रयत्न ।
पुनीत पावन दर्शन अनुपमा,
सेवा संग सुख समृद्धि अपार ।
गऊ माता की महिमा अपरंपार ।।
सींग शोभा महादेव शंकर ,
उदर शिव सुत कार्तिकेय ।
मस्तक ब्रह्मा ललाट रुद्र,
सींग अग्र इंद्र देव अजेय ।
अश्वनीकुमार विराजित कर्ण,
नयनन सूर्य चंद्र ज्योति विसार ।
गऊ माता की महिमा अपरंपार  ।।
दंतस्थ गरुड़ जिह्वा शारदे ,
तैंतीस कोटि दैवीय आगार ।
श्री कृष्ण गौ अति स्नेहिल,
पदमा संग अलौकिक श्रृंगार ।
हिंद संस्कृति संस्कार प्रेरणा,
घर देहरी शुभ मंगल बहार ।
गऊ माता की महिमा अपरंपार  ।।
जनमानस परम नैतिक धर्म,
गौ मात परिचर्या दृढ़ संकल्प ।
परिवेश उत्संग संचेतना प्रसार,
गाय भक्ति सेतु काया कल्प ।
तन मन धन योगदान अहम,
राज पटल शीर्ष प्रतिष्ठा निखार ।
गऊ माता की महिमा अपरंपार   ।।
कुमार महेन्द्र
(स्वरचित मौलिक रचना)
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