सनातन संस्कृति का दीप संस्कृति महापर्व दीपावली
सत्येन्द्र कुमार पाठक
दीपावली, जिसे 'दीपों का त्योहार' भी कहा जाता है, कार्तिक मास की कृष्ण पक्ष अमावस्या को मनाया जाने वाला एक अत्यंत प्राचीन और बहुआयामी पर्व है। यह पर्व आध्यात्मिक रूप से 'अन्धकार पर प्रकाश की विजय' और 'अज्ञान पर ज्ञान की विजय' का प्रतीक है। इसकी महत्ता केवल सनातन धर्म तक सीमित नहीं है, बल्कि इसका उल्लेख पुराणों, उपनिषदों, जैन एवं बौद्ध धर्म ग्रंथों में भी मिलता है, जो इसकी सार्वभौमिक अपील को दर्शाता है।
भारत के विभिन्न क्षेत्रों और विश्व के कई देशों में यह पर्व विभिन्न नामों और परंपराओं के साथ मनाया जाता है, जो इसकी सांस्कृतिक गहराई को सिद्ध करता है: धार्मिक नाम: मोक्ष दिवस (जैन), बन्दी छोड़ दिवस (सिख), काली पूजा (बंगाल), माता लक्ष्मी अवतरण दिवस।।क्षेत्रीय नाम: 'दिवाली', 'दीपावली' (उड़िया, असमी, कन्नड़, मलयालम, तमिल, तेलुगू), 'दीपाबॉली' (बंगाली), 'दिवाळी' (मराठी, कोंकणी), 'दियारी' (सिंधी), और 'तिहार' (नेपाली), मारवाड़ी में 'दियाळी , ' दीपावली त्योहार भारत, नेपाल, श्रीलंका, म्यांमार, मारीशस, गुयाना, त्रिनिदाद और टोबैगो, सूरीनाम, मलेशिया, सिंगापुर, फिजी, पाकिस्तान और ऑस्ट्रेलिया के क्रिसमस द्वीप पर भी हर्षोल्लास के साथ मनाया जाता है, जहाँ सरकारी अवकाश भी होता है। दीपावली का उत्सव कई महत्वपूर्ण घटनाओं और किंवदंतियों से जुड़ा हुआ है, जो इसके विभिन्न नामों और पूजा पद्धतियों को न्यायसंगत ठहराते हैं:
श्री राम का अयोध्या आगमन: सबसे प्रचलित कथा के अनुसार, भगवान राम के 14 वर्ष का वनवास पूर्ण कर, रावण का वध करने के उपरान्त, अयोध्या लौटने की ख़ुशी में अयोध्यावासियों ने घी के दीये जलाए थे। यह उत्सव 'राम विजयोत्सव' के रूप में मनाया जाता है। देवी लक्ष्मी का अवतरण: कार्तिक अमावस्या को धन की देवी मां लक्ष्मी का समुद्र मंथन से प्रकट होना माना जाता है, इसलिए इस दिन उनकी और भगवान गणेश की पूजा की जाती है। राजा बलि और भगवान विष्णु: भगवान विष्णु ने वामन अवतार लेकर राजा बलि को पाताल लोक का स्वामी बनाया था। इस घटना के बाद इंद्र ने स्वर्ग सुरक्षित जानकर प्रसन्नतापूर्वक दीपावली मनाई थी। नरसिंह और नरकासुर वध: भगवान विष्णु द्वारा नरसिंह रूप धारण कर हिरण्यकश्यप का वध और भगवान श्रीकृष्ण द्वारा नरकासुर नामक राक्षस का वध भी दीपावली के आसपास की घटनाओं से जुड़ा है, जिसके उपरान्त दीप जलाए गए थे। कालिका पूज में माता काली भी प्रकट हुई थीं, इसलिए बंगाल जैसे क्षेत्रों में दीपावली के दिन कालिका की पूजा (काली पूजा) होती है।
यम और नचिकेता: कुछ क्षेत्रों में यह पर्व यम और नचिकेता की कथा से जुड़ा है, जो सही बनाम गलत, ज्ञान बनाम अज्ञान, और सच्चा धन बनाम क्षणिक धन की शिक्षा देती है, जिसका उल्लेख पहली सहस्राब्दी ईसा पूर्व के उपनिषद में है। महावीर निर्वाण दिवस (मोक्ष दिवस): जैन धर्म के लोग इस दिन को भगवान महावीर स्वामी के निर्वाण दिवस (मोक्ष दिवस) के रूप में मनाते हैं। जैन मंदिरों में निर्वाण दिवस मनाया जाता है।।गौतम बुद्ध का स्वागत: ऐसी मान्यता है कि गौतम बुद्ध के अनुयायियों ने 2500 वर्ष पूर्व उनके स्वागत में लाखों दीप जलाकर दीपावली मनाई थी।
बन्दी छोड़ दिवस: 1577 में अमृतसर में स्वर्ण मन्दिर का शिलान्यास भी दिवाली के दिन हुआ था। सिखों के छ्ठे गुरु हरगोबिन्द सिंह जी को ग्वालियर के कारागार से रिहा किया गया था, जिसे सिख धर्म में बन्दी छोड़ दिवस के रूप में मनाया जाता है।।विक्रम संवत का आरम्भ: उज्जैन के सम्राट विक्रमादित्य का राजतिलक हुआ था। उन्होंने ही 'विक्रम संवत' की स्थापना करने के लिए धर्म, गणित तथा ज्योतिष के विद्वानों को आमंत्रित कर मुहूर्त निकलवाया था।
नेपाल संवत: नेपाल में इसी दिन से नेपाल संवत में नया वर्ष आरम्भ होता है।दयानंद सरस्वती का निर्वाण: आर्यसमाज के संस्थापक महर्षि दयानंद सरस्वती का निर्वाण भी इसी दिन हुआ था।
प्राचीन नाट्य उल्लेख: 7वीं शताब्दी के संस्कृत नाटक 'नागनंद' में राजा हर्ष ने इसे दीपप्रतिपादुत्सवः कहा है, जिसमें दीये जलाए जाते थे और नव वर-वधू को उपहार दिए जाते थे। 9वीं शताब्दी में राजशेखर ने 'काव्यमीमांसा' में इसे दीपमालिका कहा है, जब घरों की पुताई होती थी और तेल के दीयों से घरों, सड़कों और बाजारों को सजाया जाता था।
विदेशी संस्मरण में फारसी यात्री और इतिहासकार अल बेरुनी ने 11वीं सदी के अपने संस्मरण में इसे कार्तिक महीने में नए चंद्रमा के दिन हिंदुओं द्वारा मनाया जाने वाला त्यौहार कहा है। बादशाह अकबर द्वारा 100 फीट ऊंची बाँस को रंगीन कर आकाशदीप प्रज्ज्वलित कर दीपोत्सव मनाने का उल्लेख मिलता है।
ज्योतिष शास्त्र के अनुसार, दीपावली पर धन की देवी मां लक्ष्मी और भगवान गणेश जी की पूजा का दुर्लभ संयोग बनता है। दिवाली में सूर्य, चंद्रमा, बुध और मंगल जैसे ग्रहों का तुला राशि में रहना अत्यंत शुभ माना जाता है।
तुला राशि के स्वामी शुक्र हैं, जिन्हें ज्योतिष शास्त्र में लग्जरी लाइफ और सुख-सुविधाओं का कारक माना गया है। लक्ष्मी जी की पूजा से शुक्र ग्रह की शुभता में वृद्धि होती है। सूर्य को ग्रहों का राजा, मंगल को सेनापति, बुध को राजकुमार, और चंद्रमा को मन तथा माता का कारक माना गया है। यह विशिष्ट ग्रह स्थिति दिवाली को एक अत्यंत शक्तिशाली और फलदायक अवसर बनाती है।।दीपावली नेपाल और भारत में सबसे सुखद और उत्साहपूर्ण त्यौहार है।। लोग अपने घरों और कार्यस्थलों को साफ कर उन्हें उत्सव के लिए सजाते हैं।यह स्वयं और अपने परिवारों के लिए नए कपड़े, उपहार, उपकरण, रसोई के बर्तन आदि खरीदने का महत्वपूर्ण समय होता है, जिससे अर्थव्यवस्था को गति मिलती है।: 'कैंडिल दिवस' और 'दीपोत्सव' जैसे नामों से पुकारा जाने वाला यह पर्व विभिन्न समुदायों के बीच सांझा संस्कृति और भाईचारे का द्योतक है।दीपावली केवल दीये जलाने का पर्व नहीं है, बल्कि यह आत्म-शुद्धि, समृद्धि और नए आरम्भ का प्रतीक है, जो सदियों से भारतीय उपमहाद्वीप और विश्व के कई हिस्सों में प्रकाश, प्रेम और ज्ञान का संदेश प्रसारित कर रहा है।
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