सशक्त बालिका, सशक्त समाज है अंतर्राष्ट्रीय बालिका दिवस
सत्येन्द्र कुमार पाठक
हर वर्ष 11 अक्टूबर को, पूरी दुनिया 'अंतर्राष्ट्रीय बालिका दिवस' मनाती है, जिसे 'बालिका दिवस' भी कहा जाता है। यह दिन केवल एक कैलेंडर तिथि नहीं है, बल्कि एक वैश्विक आह्वान है, जो दुनिया भर की लड़कियों के अधिकारों को सुनिश्चित करने, उनके नेतृत्व को बढ़ावा देने और उनके सामने आने वाली अद्वितीय चुनौतियों पर ध्यान केंद्रित करने का एक महत्वपूर्ण मंच प्रदान करता है। जैसा कि साहित्यकार व इतिहासकार सत्येन्द्र कुमार पाठक ने ठीक ही कहा है कि "बालिका सामाजिक और पारिवारिक का सेतु है," – वह परिवार और समाज की रीढ़ है, जिसके सशक्तिकरण में ही एक राष्ट्र का भविष्य निहित है। अंतर्राष्ट्रीय बालिका दिवस की जड़ें एक गैर-सरकारी संगठन "प्लान इंटरनेशनल" द्वारा चलाए गए अभियान "क्योंकि मैं एक लड़की हूँ" में हैं। इस पहल ने कनाडा सरकार को प्रभावित किया, जिसने बाद में संयुक्त राष्ट्र महासभा में इसका प्रस्ताव रखा। अंततः, 19 दिसंबर 2011 को संयुक्त राष्ट्र महासभा ने प्रस्ताव 66/170 पारित कर 11 अक्टूबर को 'अंतर्राष्ट्रीय बालिका दिवस' घोषित किया। पहली बार यह दिवस 11 अक्टूबर 2012 को मनाया गया। लड़कियों को सशक्त बनाना: यह दिन दुनिया भर में लड़कियों और युवा महिलाओं को सशक्त बनाने, उनके नेतृत्व को बढ़ावा देने और उनके अधिकारों की रक्षा करने का एक महत्वपूर्ण वैश्विक अवसर है।
लैंगिक समानता को बढ़ावा देना: अंतर्राष्ट्रीय बालिका दिवस लैंगिक समानता के महत्व को रेखांकित करता है और यह सुनिश्चित करता है कि लड़कियों को लड़कों के समान अवसर मिलें। : शिक्षित और सशक्त लड़कियाँ अपने परिवारों, समुदायों और पूरे देश की आर्थिक व सामाजिक प्रगति में महत्वपूर्ण योगदान देती हैं। जब लड़कियाँ फलती-फूलती हैं, तो समाज और राष्ट्र दोनों आगे बढ़ते हैं।: यह दिन लड़कियों द्वारा सामना की जाने वाली अनूठी चुनौतियों, जैसे शिक्षा की कमी, बाल विवाह, लिंग-आधारित हिंसा, भेदभाव और स्वास्थ्य सेवाओं तक असमान पहुंच, के प्रति जागरूकता पैदा करता है। आज की प्रगतिशील दुनिया में भी, करोड़ों लड़कियाँ अपने मौलिक अधिकारों से वंचित हैं और भयानक चुनौतियों का सामना कर रही हैं। इन चुनौतियों में प्रमुख हैं: शिक्षा से वंचित: दुनिया भर में, शिक्षा के मामले में लड़कियों को आज भी भेदभाव का सामना करना पड़ता है। गरीब देशों में, किशोर लड़कियों और युवा महिलाओं के इंटरनेट का उपयोग न करने की संभावना उनके पुरुष साथियों की तुलना में दोगुनी है, जो उन्हें डिजिटल दुनिया के अवसरों से दूर करती है। आज भी लाखों लड़कियाँ माध्यमिक शिक्षा पूरी नहीं कर पाती हैं। बाल विवाह और कम उम्र में गर्भावस्था: कई विकासशील देशों में, बाल विवाह एक गंभीर समस्या बनी हुई है, जो लड़कियों को बचपन, शिक्षा और स्वास्थ्य के उनके अधिकारों से वंचित करती है। कम उम्र में मातृत्व उनके स्वास्थ्य और भविष्य के लिए गंभीर खतरा पैदा करता है। स्वास्थ्य और पोषण में असमानता: भारत जैसे देशों में भी, पाँच साल से कम उम्र की लड़कियों की मृत्यु दर लड़कों की तुलना में अधिक है, जो स्वास्थ्य और पोषण संबंधी देखभाल में गहरे भेदभाव को दर्शाता है।लैंगिक हिंसा और भेदभाव: लड़कियों को अक्सर अपने घरों के भीतर और बाहर लिंग-आधारित हिंसा, उत्पीड़न और भेदभाव का सामना करना पड़ता है। नेतृत्व के अवसरों की कमी: उन्हें निर्णय लेने की प्रक्रियाओं और नेतृत्व की भूमिकाओं से अक्सर बाहर रखा जाता है, जिससे उनकी आवाज़ और क्षमताएँ अनसुनी रह जाती हैं।
अंतर्राष्ट्रीय बालिका दिवस इन चुनौतियों पर प्रकाश डालते हुए, कार्रवाई करने का आह्वान करता है। यह दिन याद दिलाता है कि लड़कियों के भविष्य में निवेश करना हमारे वैश्विक समाज के भविष्य के निर्माण में एक ठोस निवेश है।शिक्षा, सशक्तिकरण की कुंजी: लड़कियों की शिक्षा में निवेश उन्हें गरीबी के चक्र को तोड़ने, बेहतर स्वास्थ्य परिणाम प्राप्त करने और अपने समुदायों की आर्थिक शक्ति बनने में मदद करता है। एक शिक्षित लड़की न केवल अपने परिवार को बल्कि आने वाली पीढ़ियों को भी शिक्षित करती है। जब लड़कियों को नेतृत्व करने का अवसर मिलता है, तो वे नवाचार और सकारात्मक सामाजिक परिवर्तन की नई राहें खोलती हैं। उन्हें अपनी आवाज़ उठाने और अपने भविष्य को आकार देने का मौका मिलना चाहिए। न्यायसंगत समाज का निर्माण: बालिकाओं के अधिकारों की रक्षा और उनके उत्थान की दिशा में काम करने से न्यायसंगत और समावेशी समाजों के निर्माण में मदद मिलती है। सशक्त बालिकाएँ सतत विकास लक्ष्यों (SDGs) को प्राप्त करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकती हैं।अंतर्राष्ट्रीय बालिका दिवस हमें यह याद दिलाता है कि एक लड़की का सशक्तिकरण न केवल उसके लिए, बल्कि पूरे समाज के लिए लाभकारी है। यह दिन दुनिया भर के उन सभी लोगों को एक साथ लाता है जो लड़कियों और उनके अधिकारों की परवाह करते हैं। बालिकाएं आशा, दृढ़ता और अनंत क्षमता का प्रतीक हैं। हमें सामूहिक रूप से यह सुनिश्चित करना होगा कि हर लड़की को शिक्षा, स्वास्थ्य, सुरक्षा और नेतृत्व के समान अवसर मिलें। हमें उन सभी बाधाओं को दूर करने के लिए प्रतिबद्ध होना चाहिए जो उनके सपनों को साकार करने से रोकती हैं। जब हम बालिकाओं के लिए एक न्यायसंगत और समावेशी दुनिया बनाते हैं, तभी हम वास्तव में एक सशक्त और समृद्ध भविष्य की नींव रखते हैं। इस दिवस पर, आइए हम संकल्प लें कि हम प्रत्येक बालिका को वह मंच और समर्थन देंगे जिसकी वह हकदार है, क्योंकि एक सशक्त बालिका ही एक सशक्त राष्ट्र की कुंजी है।
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