छठ पूजा, खरना और साठी का चावल।
जय प्रकाश कुवंर
छठ महापर्व के चार दिवसीय अनुष्ठान के दूसरे दिन खरना का अत्यंत पावन महत्व है। खरना के दिन छठी माई की विशेष पूजा और उनके लिए विशेष भोग प्रसाद बनाने की परंपरा है। इस दिन छठी माई का भोग लगाने के लिए दूध की खीर ( रसियाओ ) और रोटी बनायी जाती है। रोटी बनाने के लिए गेहूं के आटा का व्यवहार किया जाता है, वहीं खीर बनाने के लिए दूध, गुड़ और साठी के चावल का प्रचलन है।
पहले गाँव देहात में सभी किसान छठ पूजा का ख्याल रखते हुए कमोबेश साठी धान लगाते थे। उसका पौधा अन्य धान के पौधों की तुलना में छोटा होता था। इसकी बाली अन्य धान की तरह बाहर निकल कर लटकता हुआ नहीं दिखता था, बल्कि इसकी बाली अपेक्षाकृत छोटा और पौधा के डंठल के उपरी कोंपल के म्यान में आंशिक रूप से ढंकी हुई अवस्था में रहता था। इसे नर्सरी तथा रोपण से लेकर तैयार होने में लगभग ६० दिन का समय लगता रहा है। किसान साठी धान तैयार हो जाने पर इससे चावल निकाल कर उसके अन्य उपयोग के अलावा विशेष रूप से छठ पूजा में व्यवहार के लिए रख लेते थे।
साठी धान के दाने का रंग उसके किस्म के आधार पर लाल अथवा सुनहरा पीला होता है, जबकि उसके चावल का रंग लाल और बनावट में छोटा एवं मोटा होता है। साठी का चावल आसानी से पचने वाला और खुब पौष्टिक होता है।
धान की यह किस्म साठी अब लगभग खत्म होने की कगार पर है। इसकी उपज और पैदावार कृषि लागत के अपेक्षाकृत कम होती है, अतः किसान इसे लगाना बंद कर दिए हैं। आज कल धान की नयी नयी किस्म कृषि विश्वविद्यालयों द्वारा विकसित किया जा रहा है, जो ज्यादा उपज दे रहे हैं।
साठी धान अप्रैल मई महीने में लगाया जाता रहा है, जो लगभग ६० दिनों के अंतराल में तैयार हो जाता रहा है।
वैसे पारंपरिक रूप से हमारे देश में कतिका और अगहनी धान का ही पैदावार होता रहा है। फिर गरमा धान की बुआई होने लगी। और अब तो भारतवर्ष के अलग अलग क्षेत्रों में सालों भर धान की फसल लगाई जा रही है। जहाँ तक धान की किस्मों का प्रश्न है, तो अकेले भारत में लगभग ६००० धान की किस्में हैं और अभी भी नयी नयी किस्म विकसित करने के लिए इस पर अनुसंधान चलते रहता है। धान की फसल और उपज अलग अलग जलवायु और मिट्टी की परिस्थितियों के अनुसार निर्भर करता है। यह मनुष्य के लिए मुख्य खाद्य पदार्थ है।
खैर जो भी हो, आज साठी के चावल की अनुपलब्धता के चलते ज्यादातर छठ ब्रती खरना के दिन छठी माई का भोग बनाने के लिए अन्य अरवा चावल का उपयोग कर रहे हैं। जय छठी मइया 🙏🙏
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