गोवर्धनधारी श्रीकृष्ण
रचना --- डॉ रवि शंकर मिश्र "राकेश"""""""""""""""""""""""""""""""""""""
छोटे से बालक रूप में आए,
धरणी पर प्रेम का दीप जलाए।
इंद्र का अभिमान चूर कराया,
गोवर्धन पर्वत उंगली पर उठाया।
सात दिन तक बिना थके रहे,
ग्वाल-बाल संग वर्षा सहे।
धरती का रक्षक, गोपाल प्यारा,
गोवर्धनधारी बना दुलारा।
माखनचोर से बना ब्रजराज,
उसकी लीला सब पर आज।
जय हो! कृष्ण लीला महान,
गोवर्धन भगवान को प्रणाम।
🙏ॐ नमो भगवते वासुदेवाय🙏
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