वृद्धजन अनुभव की अमूल्य निधि, उनका जीवन व्यथित न हो : डॉ. विवेकानंद मिश्र

गया/डॉ. विवेकानंद पथ।
विश्व वृद्धजन दिवस को प्रेरणा दिवस के रूप में मनाया गया। इस अवसर पर विभिन्न सामाजिक संगठनों से जुड़े कौटिल्य मंच के राष्ट्रीय अध्यक्ष डॉ. विवेकानंद मिश्र ने कहा कि वृद्धजन जीवित ग्रंथ के समान होते हैं। उनके अनुभव जीवन की दिशा तय करने वाले दीपक की भाँति हैं। उन्होंने कहा कि यदि युवा पीढ़ी संयम और धैर्य का वास्तविक पाठ पढ़ना चाहती है तो उसे अपने ही परिवार के बुज़ुर्गों की छाया में बैठना होगा। वृद्धजन हमारे समाज की बहुमूल्य निधि हैं, उनका जीवन व्यथित न हो—यह हम सबका परम कर्तव्य है।
सम्मानित साहित्यकार राधामोहन मिश्र ने कहा कि वृद्धाश्रमों की बढ़ती संख्या हमारी संवेदनहीनता का प्रतीक है। उन्होंने चेतावनी दी कि यदि हम अपने जीवन-दर्शन के स्रोत बुज़ुर्गों से कट जाएँगे तो परिवार और राष्ट्र दोनों की जड़ें दुर्बल हो जाएँगी।
प्रसिद्ध समाजसेवी व आयुर्वेदाचार्य आचार्य सचिदानंद मिश्र ‘नैकी’ ने कहा—“वृद्धावस्था उपेक्षा का समय नहीं है। जिस परिवार में बुज़ुर्गों का सम्मान होता है, वही सच्चे अर्थों में संस्कृति का पालन करता है। उनके हाथों की सेवा करना ही धर्म का पालन है और यही संतान का सबसे बड़ा सौभाग्य है।”
डॉ. मृदुला मिश्रा ने अपने विचार व्यक्त करते हुए कहा कि वृद्धजन केवल अतीत की स्मृति नहीं हैं, बल्कि वर्तमान के पथप्रदर्शक और भविष्य के संस्कार-निर्माता भी हैं। यह दिन हमें संकल्प दिलाता है कि हम बुज़ुर्गों को सम्मान व आत्मीयता दें।
इसी क्रम में डॉ. रविंद्र कुमार ने कहा कि घर-परिवार और समाज के बुज़ुर्गों को सम्मान, समय और आत्मीयता प्रदान करना ही आज का सबसे बड़ा संकल्प होना चाहिए। वहीं डा. दिनेश सिंह ने कहा कि वृद्धजनों का सम्मान ही हमारी संस्कृति की वास्तविक पहचान है। संदीप मिश्र ने इसे मानवता का सर्वोच्च धर्म बताया।
इस अवसर पर अपने विचार रखने वाले अन्य प्रमुख वक्ताओं में पंडित अजय मिश्र, ज्ञानेश पांडेय, नाजिया परवीन, देवेंद्र नाथ मिश्रा, कृष्णदेव सिंह, किरण पाठक, रणजीत पाठक, मनीष कुमार, नीलम कुमारी, मो. फखरुद्दीन, दीपक पाठक, पवन मिश्र, आईशा तरन्नुम, कशक नाज, तरन्नुम, राजीव नयन पांडेय, अमरनाथ पांडेय, अनामिका पांडेय, नुसरत, तस्लीम, इशरत जमील, नौशाद अंसारी, नाफिस, चंद्र किशोर सिंह, इंदु देवी, कुमारी विनिता, प्रिया कुमारी, मयूर कुमार, गितिका पाठक, अनुप पाठक, सुगंधा, प्रियांशु, सुनील कुमार, अजय मिश्रा, अभय सिंह, संजय दास, शोभा कुमारी और पुष्प गुप्ता शामिल रहे।
कार्यक्रम के दौरान यह सामूहिक संदेश सामने आया कि वृद्धजन ही हमारे परिवार, समाज और राष्ट्र की जड़ों को मजबूत बनाए रखते हैं। उनकी उपेक्षा करना अपनी ही संस्कृति को खो देने के बराबर है।
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